मनेन्द्रगढ़, 17 सितंबर। मनेन्द्रगढ़ के अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी एवं न्याय निर्णयन अधिकारी अनिल कुमार सिदार ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के उल्लंघन मामले में कड़ा फैसला सुनाया है। न्यायालय ने आरोपी गणपति शंकर लाल अग्रवाल उर्फ गोपी, निवासी बस स्टैण्ड के पास, वार्ड नं. 11 मनेन्द्रगढ़, और अनिल कुमार चौरसिया, निवासी चित्रगुप्त कॉम्प्लेक्स, गुदरी बाजार अम्बिकापुर, को पान मसाला व तम्बाकू विक्रय में अनियमितता पाये जाने पर प्रत्येक को ₹5,00,000 (पाँच लाख रूपये) का आर्थिक दण्ड निर्धारित किया है।
प्रकरण का संक्षिप्त विवरण
दिनांक 06 जून 2020 को खाद्य सुरक्षा अधिकारी सागर दत्ता द्वारा मनेन्द्रगढ़ स्थित फर्म "मेसर्स मुकेश कुमार अग्रवाल", प्रोपराइटर गणपति शंकर लाल अग्रवाल के यहां निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन की पेपर स्लिप क्रमांक 007715, 08/012/20 व डी.ओ. कोड 012 के तहत "KP Group Rajshree Pan Masala (Packed)" 105 ग्राम (3.5 ग्राम के 30 पाउच), वैच नंबर C-20, Pkd 03/20 तथा क्रमांक 007714, 07/012/20 व डी.ओ. कोड 012 के तहत "KP Black Label Premium Chewing Tobacco (Packed)" 178.5 ग्राम में से 155.4 ग्राम की होलसेल पैक का नमूना संकलित किया गया।
यह नमूना राज्य खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला, कालीबाड़ी, रायपुर भेजा गया, जहाँ से प्राप्त जाँच प्रतिवेदन संख्या FTL/AKS/7/2020/230620-A दिनांक 10.07.2020 में उक्त उत्पादों को अवमानक घोषित कर दिया गया। इसके पश्चात अपील प्रक्रिया के तहत नमूना भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के निर्दिष्ट रैफरल लैब, गाजियाबाद में भी जाँच हेतु भेजा गया। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि नमूने में मैग्नीशियम कार्बोनेट पाया गया, जो खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं है।
आरोपियों की दलीलें
आरोपी गणपति शंकर लाल अग्रवाल ने न्यायालय में बताया कि उनका फर्म लॉकडाउन के समय बंद था, पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर दी गई थी, तथा कोविड-19 के कारण समय पर निरीक्षण नहीं हो सका। उन्होंने यह भी दावा किया कि उक्त तम्बाकू उत्पाद खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते।
वहीं अनिल कुमार चौरसिया ने भी अपने बचाव में अपनी सफाई दी।
न्यायालय का निर्णय
न्यायालय ने सभी दस्तावेजों, जांच रिपोर्ट, अपील पत्र तथा दोनों पक्षों के तर्कों का अवलोकन किया। न्याय निर्णयन अधिकारी अनिल कुमार सिदार ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि अभियुक्तों द्वारा प्रस्तुत अपील सिद्ध नहीं हो सकी। राज्य व राष्ट्रीय प्रयोगशाला दोनों के विश्लेषण में पाया गया कि उत्पाद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और अवमानक हैं। अतः न्यायालय ने यह पाया कि दोनों आरोपी खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 26(1), 26(2)(iv), 26(2)(v), 26(3) एवं 57 का उल्लंघन कर चुके हैं।
निर्णयानुसार, दोनों आरोपियों को यह आदेश दिया गया कि वे ₹5,00,000 (पाँच लाख रूपये) प्रत्येक, “अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी एवं न्याय निर्णयन अधिकारी” के नाम पर राष्ट्रीय बैंक से ड्राफ्ट बनाकर 30 दिनों के भीतर जमा करें। जुर्माने की राशि जमा न करने की स्थिति में वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।