बैकुंठपुर। परंपरागत कला और बुनकरी को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से आयोजित हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट व्यापार मेला का भव्य शुभारंभ युवा व्यवसायी आस्तिक शुक्ला के हाथों हुआ। यह मेला हर वर्ष आयोजित किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य देश की पारंपरिक कला, हथकरघा और हस्तशिल्प से बने उत्पादों को बढ़ावा देना है। इस अवसर पर उनके साथ अभिषेक शुक्ला खास तौर पर उपस्थित थे।
मेले में कारीगरों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों द्वारा अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां घर की सजावट से लेकर रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं जैसे कपड़े, चादरें, कालीन, सजावटी सामान, मिट्टी और लकड़ी की कलाकृतियां, बाँस और बेंत से बने उत्पाद, पीतल और धातु की कारीगरी तथा अन्य उपयोगी सामग्री किफायती दरों पर उपलब्ध है।
युवा व्यवसायी आस्तिक शुक्ला ने शुभारंभ अवसर पर कहा कि आज के दौर में आधुनिकता के साथ परंपरा को संजोना बेहद जरूरी है। हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट को समर्थन देने से न केवल कारीगरों की आजीविका सुदृढ़ होती है बल्कि ऐसे उद्योग भी आत्मनिर्भर बनते हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि अधिक से अधिक संख्या में मेले में आएं और कारीगरों को प्रोत्साहन दें।
उन्होंने आगे कहा कि हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट का महत्व सिर्फ उपयोगिता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है। इनसे न केवल ग्रामीण और परंपरागत कारीगरों को रोज़गार मिलता है बल्कि ग्राहकों को प्राकृतिक और टिकाऊ सामग्री से बने उत्पाद मिलते हैं। कपड़ा उद्योग में हैंडलूम से बने परिधान गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्माहट देने के लिए प्रसिद्ध हैं। वहीं हस्तशिल्प उत्पादों की खासियत यह है कि हर एक वस्तु हाथों से गढ़ी जाती है, जिससे उसमें विशेष आकर्षण और पहचान बनी रहती है।
मेला प्रबंधन समिति ने बताया कि यह आयोजन पूरे सप्ताह चलेगा, जिसमें प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम और कारीगरों से संवाद भी रखा गया है। आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट उत्पाद आमजन तक पहुँचें और इनकी परंपरा नई पीढ़ी तक जीवित रहे।