कोरिया। जिले में हाल ही में हुए वीवीआईपी दौरे ने विकास की ऐसी रफ्तार पकड़ ली कि लोग अब सरकार से अपील कर रहे हैं कि साल में कम से कम दो बार ऐसे दौरे जरूर करवाए जाएं। वजह? वीवीआईपी के आने की खबर मिलते ही सड़कों की मरम्मत, बिजली के खंभों पर नई लाइटें, सरकारी इमारतों की पुताई और सफाई अभियान इतनी तेजी से हुआ कि लोगों को अपनी ही गलियां और सड़कें अजनबी लगने लगीं!
तीन दिन में हुआ कमाल!
वीवीआईपी दौरे से ठीक पहले जिस तरह से बैकुंठपुर रेलवे स्टेशन से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक की सड़कों का कायाकल्प हुआ, वह किसी जादू से कम नहीं था। जो गड्ढे वर्षों से आम जनता के धैर्य और वाहन के टायरों की परीक्षा ले रहे थे, वे एक रात में भर दिए गए। झूलते बिजली के तार एकदम सीधा कर दिए गए, और अंधेरे में खोए खंभे एकाएक उजाले से नहा उठे। सरकारी इमारतें भी इतनी चमक उठीं कि मानो खुद को पहचानने के लिए दर्पण मांग रही हों!
काम करने वाले पसीना बहाते रहे, अफसर मौज उड़ाते रहे
हालांकि, इस पूरे सुधार कार्य में लोक निर्माण विभाग की लापरवाही भी देखने को मिली। सुबह 4 बजे से शाम 3 बजे तक काम में जुटे अधिकारियों कर्मचारियों को न तो चाय मिली, न पानी और न ही खाने का एक निवाला। अधिकारियों ने पानी मांगा तो भगा दिया, जैसे ही मीडिया को पता चला तो खाने के लिए बुलाने तो अधिकारियों ने मना कर दिया। लेकिन अफसरों के लिए यह दौरा कमाई का सुनहरा मौका बन गया। आखिर, सरकारी कामों में कमीशन का खेल भी तो चलता है!
बैठक में 20 बिंदु, पर असर कब दिखेगा?
वीवीआईपी दौरे के दौरान अधिकारियों की बैठक में विकास से जुड़े 20 अहम बिंदु उठाए गए। इनमें पौधारोपण, नशामुक्ति, ट्रैफिक जागरूकता, बालिका शिक्षा और ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास जैसी योजनाएं शामिल थीं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ये बिंदु सिर्फ सरकारी फाइलों में रह जाएंगे या वास्तव में इनका कुछ असर भी दिखेगा?
जनता की नई मांग: हर साल दो दौरे जरूरी!
अब कोरिया जिले के लोग सरकार से वीवीआईपी दौरों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर सिर्फ तीन दिन में इतनी तरक्की हो सकती है, तो साल में दो बार दौरे होने चाहिए! और अगर संभव हो, तो हर बार अलग-अलग इलाकों का निरीक्षण हो, ताकि पूरा जिला चमक जाए। जनता ने यह भी सुझाव दिया कि भले ही कोई नई योजना घोषित न हो, बस वीवीआईपी अपनी गाड़ी निकालकर गलियों से गुजर जाएं, विकास खुद-ब-खुद दौड़ने लगेगा!
अब बड़ा सवाल...
अब देखना यह है कि यह चमक-दमक कितने दिन टिकी रहती है। क्या वीवीआईपी के जाते ही सड़कें फिर से उखड़ जाएंगी, लाइटें फिर बुझ जाएंगी और सरकारी दफ्तर फिर से पुराने रंग में लौट आएंगे? या इस बार सच में कुछ बदलाव टिकाऊ साबित होगा? जवाब तो आने वाला समय ही देगा, लेकिन फिलहाल, वीवीआईपी दौरे का असर सोशल मीडिया की पोस्ट और सरकारी रिपोर्टों में जरूर अमर हो गया है!