निमली (अलवर), राजस्थान, 28 फरवरी 2025 — भारत ने 2030 तक अपने नए वाहन बेड़े का 30 प्रतिशत विद्युतीकरण (EV30@30) करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। लेकिन हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ पत्रिका द्वारा प्रकाशित "भारत के पर्यावरण की स्थिति 2025" (SOE 2025) रिपोर्ट में इस लक्ष्य को लेकर गंभीर शंकाएँ जताई गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल हिस्सेदारी केवल 6.5 प्रतिशत ही रही है, जिसमें 95 प्रतिशत हिस्सा ई-रिक्शा और ई-दोपहिया वाहनों का है।
CSE की कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान और वकालत) अनुमिता रॉयचौधरी ने राजस्थान के निमली में आयोजित वार्षिक अनिल अग्रवाल संवाद (AAD) में कहा, "भारत में EV विकास मुख्य रूप से छोटे वाहनों — जैसे दोपहिया और तिपहिया — पर केंद्रित है, जिससे बैटरी की मांग में भी सीमित बढ़ोतरी हो रही है। चार पहिया वाहनों का विद्युतीकरण बेहद धीमी गति से हो रहा है, जो EV बाजार को गति देने में बाधक है।"
EV लक्ष्य और हकीकत में बड़ा अंतर
EV30@30 अभियान के तहत भारत ने 2030 तक:
30% नई पंजीकृत निजी कारों का विद्युतीकरण
40% नई बसों का विद्युतीकरण
70% वाणिज्यिक कारों का विद्युतीकरण
80% दोपहिया और तिपहिया वाहनों का विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा है।
हालाँकि, SOE 2025 रिपोर्ट बताती है कि 2024 में कुल EV प्रवेश मात्र 6.5% पर सिमट गया है, और इस बेड़े में अधिकांश हिस्सेदारी ई-रिक्शा और दोपहिया वाहनों की है।
नीतियों में कमी और स्थानीय विनिर्माण की चुनौती
रॉयचौधरी ने EV बिक्री में मंदी के पीछे "उच्च खरीद लागत" और "स्थानीय विनिर्माण आधार की कमी" को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि EV घटकों के स्थानीयकरण की कमी के कारण भारतीय EV कंपनियाँ आयात पर निर्भर हैं, जिससे लागत बढ़ रही है।
SOE 2025 रिपोर्ट के अनुसार, "स्थानीयकरण को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी अनुसंधान और विकास (R&D) क्षमताओं को मजबूत करना आवश्यक है।"
ZEV अनिवार्यता और नीति सुधार की जरूरत
CSE ने शून्य उत्सर्जन वाहन (ZEV) अनिवार्यता की वकालत करते हुए कहा कि सिर्फ FAME जैसी प्रोत्साहन योजनाएँ पर्याप्त नहीं हैं। निर्माताओं को अपनी कुल बिक्री का एक न्यूनतम हिस्सा ZEV के रूप में बेचने का लक्ष्य दिया जाना चाहिए।
क्या 2030 लक्ष्य संभव है?
CSE की रिपोर्ट और विशेषज्ञों की राय के आधार पर स्पष्ट है कि मौजूदा गति से 2030 तक EV30@30 लक्ष्य को पाना बेहद मुश्किल है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, भारत की मौजूदा नीतियों के तहत 2035 तक भी EV हिस्सेदारी 25% तक ही पहुँच पाएगी।
आगे का रास्ता
SOE 2025 रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि EV लक्ष्यों को पाने के लिए:
स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा दिया जाए।
EV घटकों के उत्पादन में स्वदेशी R&D को प्राथमिकता दी जाए।
EV की उच्च लागत को कम करने के लिए प्रोत्साहन और सब्सिडी योजनाओं को मजबूत किया जाए।
ZEV अनिवार्यता नीति लागू की जाए।
2030 का EV30@30 लक्ष्य केवल नीतियों की सख्ती और स्थानीय विनिर्माण के विस्तार से ही पूरा हो सकता है। अब यह सरकार और उद्योग दोनों पर निर्भर है कि वे इस दिशा में कितनी तेजी से कदम उठाते हैं।