रेफर सेंटर बना जिला अस्पताल, हेल्थी सीजन के ढाई महीने में 110 मरीजों को किया गया रेफर, इलाज नहीं, सिर्फ रेफर, एक ओर राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक असेसमेंट में कोरिया जिला दूसरे स्थान पर

Chandrakant Pargir

 


बैकुंठपुर (कोरिया)। जिले का सबसे बड़ा जिला अस्पताल बैकुंठपुर इन दिनों "रेफर सेंटर" बनकर रह गया है। 1 जनवरी 2025 से 15 मार्च 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, 108 संजीवनी एक्सप्रेस से 110 मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया गया। इससे साफ पता चलता है कि अस्पताल में जरूरी इलाज की सुविधा या तो उपलब्ध नहीं है या फिर स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा चुकी हैं।



इतना ही नहीं, ऐसे कई मामले हैं जिनका आधिकारिक रिकॉर्ड तक उपलब्ध नहीं है, क्योंकि कई मरीजों को निजी वाहनों से दूसरे अस्पतालों में ले जाया गया। इसके अलावा  सरकारी एम्बुलेंस से कई मरीजों को रेफर किया गया है, जिला अस्पताल में जरूरी चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के कारण गरीब और दूरदराज़ के मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार को जब 108 के  वाहन चालक से पूछा तो उन्होंने बताया कि कभी कभी दिन में तीन चक्कर अंबिकापुर जाना पड़ रहा है।



बैठकों में "वेरी गुड", लेकिन मरीजों के लिए कोई सुनवाई नहीं


अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि  बैठको में स्वास्थ्य विभाग को "वेरी गुड" की रेटिंग दी जा रही है। जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि अगर कोई अधिकारी खुद अपने परिवार के मरीज को लेकर अस्पताल पहुंच जाए, तो उन्हें भी इलाज के लिए भटकना पड़ता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब स्वास्थ्य विभाग खुद इस सच्चाई से वाकिफ है, तो फिर व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे?  




दिखावा ज्यादा, इलाज कम


हाल ही में जिला अस्पताल की दीवारों पर रंग-रोगन और खूबसूरत आर्टवर्क कर इसे आकर्षक बनाने का काम किया गया, जिससे अस्पताल की इमारत तो चमक उठी, लेकिन मरीजों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। अस्पताल में इलाज की गुणवत्ता में सुधार करने की बजाय सिर्फ बाहरी सजावट पर ध्यान दिया गया, जिससे अस्पताल को "वेरी गुड" रेटिंग जरूर मिल गई, लेकिन मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल सकीं।



गर्भवती महिलाओं के इलाज में सुधार, लेकिन बाकी मरीजों का क्या?


हालांकि, भाजपा सरकार द्वारा हाल ही में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ और महिला चिकित्सक की नियुक्ति के बाद गर्भवती महिलाओं के इलाज में काफी सुधार हुआ है। इससे इस विभाग की कार्यप्रणाली को "वेरी गुड" कहना उचित होगा, लेकिन सवाल यह है कि अन्य मरीजों के लिए भी बेहतर सुविधाएं कब मिलेंगी?


क्या प्रशासन देगा ध्यान?


जिला अस्पताल बैकुंठपुर में इलाज के बजाय मरीजों को रेफर करने का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि प्रशासन कब इस ओर ध्यान देगा?

अगर जल्द ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हुआ, तो यह अस्पताल सिर्फ एक "रेफर सेंटर" बनकर रह जाएगा और गरीब मरीजों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा।

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