रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य को बने दो दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज भी कुछ नीतिगत विसंगतियाँ राज्य के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने नियमित कर्मचारियों के लिए 3% महंगाई भत्ते (DA) की घोषणा की, जो एक स्वागतयोग्य कदम है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इस लाभ से वंचित रखा गया है, जिससे उनमें नाराजगी बढ़ रही है।
छत्तीसगढ़ की स्वायत्तता पर उठे सवाल
छग शिक्षक फेडरेशन के उप प्रांताध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने इस मुद्दे पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि जब राज्य के नियमित कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का लाभ मिल सकता है, तो सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए अलग नीति क्यों अपनाई जा रही है? उन्होंने कहा, "सेवानिवृत्त कर्मचारी भी इसी राज्य के सेवाभावी नागरिक रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा प्रदेश की सेवा में समर्पित किया है। उनके साथ यह भेदभाव न केवल अनुचित है, बल्कि छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक स्वायत्तता पर भी सवाल खड़े करता है।"
शासन से की तत्काल निर्णय की मांग
श्री सिंह ने राज्य सरकार से मांग की कि इस विसंगति को तुरंत समाप्त किया जाए और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी 3% महंगाई भत्ता देने का आदेश शीघ्र जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि यह कदम न्यायसंगत होने के साथ ही राज्य शासन की संवेदनशीलता और आत्मनिर्भरता का भी परिचय देगा।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा
इस मुद्दे को लेकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों में गहरा असंतोष है। उनका कहना है कि वे भी राज्य की सेवा में समान रूप से योगदान दे चुके हैं, फिर भी उनके अधिकारों की उपेक्षा हो रही है।
फेडरेशन ने दी आंदोलन की चेतावनी
यदि जल्द ही इस दिशा में उचित निर्णय नहीं लिया गया, तो शिक्षक फेडरेशन और सेवानिवृत्त कर्मचारी मिलकर बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।