चिरमिरी। नगर निगम चुनाव से पहले चिरमिरी में जल संकट सबसे अहम चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है। बीते पांच वर्षों में जलवर्धन योजना के तहत 39 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन अब भी कई इलाकों में लोगों को नियमित जल आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। शहर के कई हिस्सों में आज भी टैंकरों और टुरा (हैंडपंप व अन्य अस्थायी जल स्रोतों) पर निर्भरता बनी हुई है। इस मुद्दे को लेकर जनता नगर सरकार से जवाब मांग रही है, वहीं विभिन्न राजनीतिक दल इसे अपने चुनावी एजेंडे में प्रमुखता से उठा रहे हैं।
जलवर्धन योजना पर सवाल, हसदेव नदी से भी नहीं मिली राहत
नगर निगम द्वारा हसदेव नदी से अरूणी बांध और सरभोंका जलाशय के माध्यम से पानी लाने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद अब तक पानी की आपूर्ति सुचारू नहीं हो पाई है। अधूरी पाइपलाइन और जल आपूर्ति में अनियमितता के कारण कई इलाकों में जल संकट बना हुआ है।
स्थानीय निवासी चंदन गुप्ता का कहना है, "हर चुनाव में जल समस्या का समाधान करने का वादा किया जाता है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। अबकी बार जनता सिर्फ वादों पर नहीं, बल्कि काम पर वोट देगी।"
राजनीतिक दलों के लिए जल संकट बना चुनावी मुद्दा
नगर निगम चुनाव में सभी दल जल संकट को लेकर सक्रिय दिख रहे हैं। वर्तमान नगर सरकार जहां अपने कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को गिना रही है, वहीं विपक्षी दल इस समस्या को नगर सरकार की विफलता बता रहे हैं।
क्या जल संकट चुनावी नतीजों को प्रभावित करेगा?
जल संकट इस बार चुनाव में मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर सकता है। जनता अब अपने अनुभव और बीते पांच सालों के विकास कार्यों के आधार पर निर्णय लेने के मूड में दिख रही है। अब देखना होगा कि मतदाता किन मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं और चिरमिरी की नगर सरकार किसे बनाने का फैसला होता है।