चिरमिरी: नगर निगम चुनाव के बीच महापौर कंचन जायसवाल के कार्यकाल से जुड़ा एक पुराना मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। आरोप है कि उनके लिए नगर निगम के 30 लाख रुपये से एक सरकारी बंगले का निर्माण और मरम्मत की गई, जो अब राजनीतिक बहस का विषय बन गया है।
आरटीआई में हुआ खुलासा
2020 में दाखिल एक सूचना का अधिकार (RTI) आवेदन के माध्यम से यह जानकारी सामने आई थी कि महापौर कंचन जायसवाल के लिए बिना किसी ठोस प्रशासनिक अनुमति के सरकारी बंगले को गिराकर फिर से बनाया गया। इसके लिए 30 लाख रुपये खर्च किए गए, जो नगर निगम के बजट से लिए गए थे।
विपक्ष का आरोप, कांग्रेस का जवाब
नगर निगम चुनाव के चलते यह मुद्दा राजनीतिक दलों के बीच बहस का केंद्र बन गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह सरकारी पैसे का दुरुपयोग और सत्ता के प्रभाव का गलत इस्तेमाल है। उन्होंने इसे परिवारवाद और जनता के संसाधनों की अनदेखी का उदाहरण बताया।
दूसरी ओर, कांग्रेस समर्थकों का तर्क है कि बंगला निर्माण नगर निगम की प्रक्रिया के तहत किया गया था और यह किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं था।
जनता में बढ़ता असंतोष
इस मुद्दे को लेकर स्थानीय लोगों के बीच भी नाराजगी देखी जा रही है। जनता का सवाल है कि जब शहर के विकास कार्यों के लिए धन की कमी बताई जाती है, तो इस तरह के खर्च को कैसे सही ठहराया जा सकता है?
चुनावी माहौल और आगे की राह
चिरमिरी नगर निगम चुनाव में यह मुद्दा बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। अब देखना यह होगा कि क्या इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होती है, या यह चुनावी बहस तक ही सीमित रह जाएगा। जनता की नज़र इस बात पर टिकी है कि सरकारी धन के उपयोग को लेकर जवाबदेही तय की जाएगी या नहीं।