पटना नगर पंचायत चुनाव: भाजपा-कांग्रेस में कड़ी टक्कर, निर्दलीय खेल बिगाड़ने को तैयार!

Chandrakant Pargir

 


बैकुंठपुर।  नगर पंचायत चुनाव को लेकर पटना का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में पूरी मजबूती से डटे हुए हैं।


कांग्रेस के दिग्गज नेता डोर-टू-डोर कैंपेन कर रहे हैं। जिला अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता के नेतृत्व में योगेश शुक्ला, यवत सिंह और अशोक जायसवाल समेत कई नेता बीते दिनों से लगातार जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने भी इस चुनाव को गंभीरता से लेते हुए अपने बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया है। क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, प्रदेश संगठन मंत्री पवन साय और मंत्री रामविचार नेताम पटना आकर अपना मार्गदर्शन दे चुके है, मंत्री रामविचार नेताम ने रोड शो भी किया हैं। भाजपा ने अपने हर मोर्चा प्रकोष्ठ को वार्ड स्तर पर जनसंपर्क के निर्देश दिए हैं।


भाजपा जिलाध्यक्ष की अग्निपरीक्षा!


भाजपा के नव नियुक्त जिला अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी के लिए भी यह चुनाव एक बड़ी परीक्षा है। संगठन की कमान संभालते ही उन्हें नगर पंचायत चुनाव की चुनौती मिली है, जिसे वह पूरी ताकत से लड़ रहे हैं। उन्होंने भाजपा के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतार दिया है। उनके नेतृत्व में भाजपा का संगठन मजबूत रणनीति के साथ जनता तक पहुंचने में जुटा हुआ है। अगर भाजपा इस चुनाव में जीतती है, तो यह देवेंद्र तिवारी की नेतृत्व क्षमता की बड़ी सफलता मानी जाएगी, लेकिन अगर पार्टी को झटका लगता है, तो संगठन के भीतर उनकी परीक्षा और कठिन हो सकती है।


निर्दलीय उम्मीदवार बना सकते हैं किंगमेकर!


इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी कमर कस ली है, जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। एक-एक वोट किस ओर जाएगा, यह कहना मुश्किल हो गया है। ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका जीत-हार में अहम साबित हो सकती है।


भाजपा के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर


इस चुनाव में भाजपा के दो बड़े नेताओं की साख भी दांव पर लगी हुई है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रविशंकर शर्मा पार्षद पद के उम्मीदवार हैं, जबकि पूर्व जिला अध्यक्ष जवाहर गुप्ता का निवास स्थान भी पटना में है। इन दोनों नेताओं का भाजपा संगठन में बड़ा प्रभाव रहा है। अगर भाजपा यहां जीत हासिल करती है, तो इन दिग्गजों की सियासी ताकत और बढ़ेगी, लेकिन यदि कहीं चूक हुई, तो दोनों नेताओं की साख पर करारा झटका लग सकता है।


सियासी समीकरण लगातार बदल रहे!


पटना नगर पंचायत चुनाव में कोई भी दल जीत का दावा करने से बच रहा है। निर्दलीय उम्मीदवार जिस तरह मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं, उसे देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए राह आसान नहीं लग रही। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा अपने संगठन की ताकत से जीत हासिल करेगी या कांग्रेस के जनसंपर्क अभियान का असर दिखेगा, या फिर निर्दलीय प्रत्याशी कोई बड़ा उलटफेर करेंगे!


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