एमसीबी । एमसीबी जिला पंचायत चुनाव के क्षेत्र क्रमांक-5 (केल्हारी, मुक्त सीट) पर कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दलों ने महिला प्रत्याशियों को समर्थन दिया है। लेकिन चुनावी मैदान में दो वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा से सियासी हलचल तेज हो गई है। भाजपा के दृगपाल सिंह और कांग्रेस के डॉ. विनय शंकर सिंह को उनकी ही पार्टी ने समर्थन नहीं दिया, बावजूद इसके वे पूरी मजबूती से चुनावी जंग में उतरे हैं।
भाजपा ने अपने ही दिग्गज को किया नजरअंदाज!
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व जिला पंचायत सदस्य दृगपाल सिंह को पार्टी ने न सिर्फ जिला पंचायत चुनाव में, बल्कि पूर्व में विधायकी के टिकट से भी वंचित रखा था। वे भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं और जब भी पार्टी विपक्ष में होती है, उन्हें आगे किया जाता है, लेकिन सत्ता में रहते ही उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है।
दृगपाल सिंह ने नाराजगी जताते हुए कहा,
"जब पार्टी विपक्ष में रहती है, तब मुझे समर्थन देती है और मैं जीतकर आता हूँ। लेकिन सत्ता में आते ही मुझे किनारे कर दिया जाता है। इस बार जीतकर बात करूँगा और सब कुछ बताऊंगा!"
कांग्रेस में गुटबाजी बनी सिरदर्द!
कांग्रेस ने इस सीट पर डॉ. विनय शंकर सिंह को समर्थन नहीं दिया, जो जनपद पंचायत के निर्विरोध अध्यक्ष रह चुके हैं और जनता में मजबूत पकड़ रखते हैं। उनके टिकट कटने के बाद पार्टी में गुटबाजी की चर्चाएँ तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने इस चुनाव में 10 में से 8 सीटों पर महिलाओं को समर्थन दिया है, लेकिन पार्टी का यह फैसला कई वरिष्ठ नेताओं को असहज कर रहा है।
डॉ. विनय शंकर सिंह ने कांग्रेस नेतृत्व पर तंज कसते हुए कहा,
"कांग्रेस के प्रदेश और जिला के वरिष्ठ नेता दरबारियों से घिरे हैं। वे क्या सोचकर मेरा नाम काटे हैं, यह उनका फैसला है। लेकिन मुझे जनता का भरपूर प्यार मिल रहा है।"
जीत के बाद क्या करेंगे दोनों नेता?
जब दोनों नेताओं से यह पूछा गया कि क्या वे अपनी पार्टी समर्थित अध्यक्ष या उपाध्यक्ष चुनेंगे, तो उनके जवाब भी दिलचस्प रहे—
दृगपाल सिंह: "मैं जीत जाऊँ, उसके बाद बात करूँगा और सबको बताऊँ!"
डॉ. विनय शंकर सिंह: "जिस जनता के आशीर्वाद से जीतूँगा, उन्हीं से पूछकर निर्णय लूँगा!"
क्या दोनों नेता निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए गेमचेंजर बनेंगे?
भाजपा और कांग्रेस के इन बागी नेताओं का चुनावी मैदान में उतरना समीकरण बदल सकता है। ऐसे में सवाल उठता है—
क्या पार्टी की अनदेखी के बावजूद ये नेता जीत हासिल करेंगे?
अगर जीतते हैं, तो क्या पार्टी के फैसलों को चुनौती देंगे?
या निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे?
आने वाले नतीजे तय करेंगे सियासी समीकरण!
एमसीबी जिला पंचायत चुनाव के ये नतीजे सिर्फ एक सीट का नहीं, बल्कि भाजपा-कांग्रेस के संगठनात्मक फैसलों का भी टेस्ट होंगे। अब देखना होगा कि पार्टी से दरकिनार किए गए नेता अपनी सियासी ताकत से क्या नया इतिहास रचते हैं!