भरतपुर, एमसीबी — ग्राम पंचायत ओहनिया में हुए सरपंच चुनाव में जो कुछ हुआ, उसने पूरे जिले में लोकतंत्र की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जगत बहादुर सिंह को कुल 138 वोट मिलने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा, जबकि सिर्फ 85 वोट पाने वाले जयकरण सिंह को विजेता घोषित कर प्रमाण पत्र थमा दिया गया। इस हैरान करने वाली घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश और असमंजस का माहौल है।
कैसे सामने आई गड़बड़ी?
मामले ने तूल तब पकड़ा जब तहसीलदार शतरूपा साहू ने अपनी सफाई देते हुए बताया कि उन्हें पीठासीन अधिकारी द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर प्रमाण पत्र जारी किया गया। लेकिन व्हाट्सएप पर भेजे गए मतगणना पत्र में भारी गड़बड़ी साफ नजर आई — 62 वोट पाने वाले को 17 दिखाया गया और 17 वोट पाने वाले को 62।
मतगणना केंद्र में मौजूद मूल गणक पत्र और बाद में भेजे गए संशोधित पत्र में भी साफ अंतर पाया गया, जिससे यह मामला और विवादित हो गया है।
लिपिकीय गलती या सुनियोजित साजिश?
यदि मतों में अंतर था कि पीठासीन अधिकारी ने लाल क्रॉस करते हुए उंसमे हस्ताक्षर क्यों नही किए यदि लिपिकीय त्रुटि थी तो उसका जिक्र वहां करना था , लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर यह केवल एक गलती थी, तो पीठासीन अधिकारी ने इस पर स्पष्ट टिप्पणी क्यों नहीं की? क्यों बिना किसी औपचारिक सूचना के नया गणक पत्र तैयार किया गया?
वोटों का पूरा गणित:
जगत बहादुर सिंह — केंद्र 137: 62 वोट, केंद्र 138: 76 वोट, कुल: 138 वोट
जयकरण सिंह — केंद्र 137: 17 वोट, केंद्र 138: 68 वोट, कुल: 85 वोट
जश्न के बाद निराशा
मतगणना के बाद जगत बहादुर सिंह ने अपनी जीत की खुशी में जमकर जश्न मनाया। उन्होंने समर्थकों के साथ जुलूस निकाला और इस दौरान आर्थिक खर्च भी किया। लेकिन जब दो दिन बाद प्रमाण पत्र लेने पहुंचे, तो उन्हें हार की सूचना दी गई। इस फैसले से वे गहरे आहत हैं और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ साजिश बता रहे हैं।
न्याय की मांग, निष्पक्ष जांच की गुहार
जगत बहादुर सिंह और उनके समर्थकों ने इस गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी शुरू कर दी है। स्थानीय लोगों का भी मानना है कि इस तरह की लापरवाही के लिए पीठासीन अधिकारी जिम्मेदार है यदि कोई त्रुटि थी तो मौके पर ही वही सबके बीच मे उजागर करना था दो दिन बाद गणक पत्र में लाल रंग से क्रॉस लगाकर नया गणक पत्र तैयार करना बड़ी गलती है।
अब सबकी नजरें प्रशासन पर हैं, देखना होगा कि प्रशासन मामले में आगे क्या कदम बढ़ाता है।