JNU दिल्ली में डॉ. संजय अलंग का व्याख्यान फरवरी के अंत में

Chandrakant Pargir

 


नई दिल्ली। प्रख्यात इतिहासकार, लेखक और कवि डॉ. संजय अलंग जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में फरवरी के अंत में विशेषज्ञ व्याख्यान देंगे। छत्तीसगढ़ के इतिहास, संस्कृति और जनजातीय विषयों के गहन शोधकर्ता डॉ. अलंग अब तक दस से अधिक महत्वपूर्ण शोध पुस्तकें लिख चुके हैं।



डॉ. संजय अलंग को छत्तीसगढ़ पर विशेषज्ञ व्याख्यान देने के लिए राष्ट्रीय स्तर के मंचों पर लगातार आमंत्रित किया जाता है। हाल ही में वे अरुणाचल प्रदेश साहित्य महोत्सव, विश्व पुस्तक मेला (नई दिल्ली), आज तक साहित्य महोत्सव, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), रायपुर साहित्य महोत्सव जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर व्याख्यान और कविता पाठ कर चुके हैं।



भारत सरकार ने उनकी प्रसिद्ध शोध पुस्तक 'छत्तीसगढ़: इतिहास और संस्कृति' को सर्वश्रेष्ठ शोध शिक्षा लेखन के लिए एक लाख रुपए के पुरस्कार के साथ सम्मानित किया था। उनकी अन्य चर्चित पुस्तकों में 'छत्तीसगढ़ की रियासतें और जमींदारियां' तथा 'छत्तीसगढ़ की जनजातियां और जातियां' भी शामिल हैं।



सिर्फ इतिहास और संस्कृति ही नहीं, डॉ. संजय अलंग की पहचान एक सशक्त कवि के रूप में भी है। उनके तीन हिंदी कविता संग्रह - 'शव', 'पगडंडी छिप गई थी' और 'नदी उसी तरह सुंदर थी जैसे कोई बाघ' — साहित्य जगत में काफी सराहे गए हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रकाशित उनका कविता संग्रह 'मउहा कान म बोलय बांस' भी बेहद लोकप्रिय है।

JNU में होने वाले इस व्याख्यान को लेकर साहित्य, इतिहास और संस्कृति के छात्रों और शोधार्थियों में खासा उत्साह है।



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