रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भीतर आपसी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच अब बयानबाजी तेज हो गई है। ताजा विवाद डॉ. महंत के उस बयान से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव टी.एस. सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। उनके इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है।
भूपेश बघेल ने महंत के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी में ऐसी घोषणाएं करने का अधिकार किसी को नहीं है। वहीं, खुद टी.एस. सिंहदेव ने भी इस बयान से पल्ला झाड़ लिया है, जिससे कांग्रेस के भीतर गुटबाजी की अटकलें और तेज हो गई हैं।
2018 से 2023 तक सत्ता के भीतर मतभेद
विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री पद के लिए तीन नाम—भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू और डॉ. चरणदास महंत—दिल्ली भेजे गए थे। अंततः आलाकमान ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया, जबकि डॉ. महंत को विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया।
हालांकि, सत्ता में रहते हुए भी महंत कई मौकों पर सरकार के फैसलों पर सवाल उठाते नजर आए। कोरिया जिले में अवैध रेत उत्खनन के मुद्दे पर वो जब कोरिया आते उस पर सवाल उठाया करते, डॉ. महंत ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया। जब कोरिया विभाजन को लेकर लोगों ने बैकुंठपुर में धरना दिया और रायपुर में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे, तब भूपेश बघेल का यह कहना कि "कहां हैं सांसद पति?" इस बात का संकेत था कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।
2023 में गुटबाजी बनी हार की वजह?
कांग्रेस की इस आंतरिक कलह का असर विधानसभा चुनाव 2023 में भी देखने को मिला। पार्टी के भीतर तालमेल की कमी और 'एकला चलो' की नीति कांग्रेस की हार की बड़ी वजह बनी।
अब जब कांग्रेस पुनर्गठन की ओर बढ़ रही है, तब डॉ. चरणदास महंत का यह बयान कि "आगामी चुनाव टी.एस. सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा," पार्टी के भीतर नई हलचल पैदा कर चुका है। हालांकि, सिंहदेव ने इस बयान से दूरी बना ली है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महंत के बयानों का दूरगामी असर देखने को मिल सकता है।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में शीर्ष नेताओं के बीच जारी यह खींचतान आगामी राजनीतिक समीकरणों को किस दिशा में मोड़ती है, यह देखने वाली बात होगी।