भरतपुर-सोनहत में कांग्रेस की अंदरूनी कलह उजागर, पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी

Chandrakant Pargir

 


मनेन्द्रगढ़ (एमसीबी) छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति इन दिनों काफी गरमाई हुई है। एमसीबी जिले के भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के भीतर मचे घमासान ने संगठन की कमजोरी को उजागर कर दिया है। राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शरण सिंह ने पूर्व विधायक पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।


शरण सिंह ने आरोप लगाया है कि जिला पंचायत चुनाव में पार्टी ने उन्हें एमसीबी जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 06 (ताराबहरा) से कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन पूर्व विधायक ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर उनकी हार सुनिश्चित करने के लिए भरतपुर-सोनहत विधानसभा युवा कांग्रेस अध्यक्ष जो पूर्व विधायक का वाहन चालक भी है,  को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं, पूर्व विधायक ने अपने कई समर्थकों और यहां तक कि अपने भाई को भी शरण सिंह को हराने के लिए सक्रिय कर दिया।


संगठन पर कमजोर पकड़, सिर्फ 1 सीट पर जीत


भरतपुर-सोनहत विधानसभा में 8 जिला पंचायत सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट पर ही सफलता मिली। नागपुर क्षेत्र से राजेश साहू की जीत को छोड़ दें, तो बाकी 7 सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके विपरीत, मनेन्द्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 2 सीटों पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में बेहतर रणनीति के चलते दोनों सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की।


"आदिवासी नेतृत्व को कमजोर करने की साजिश"


शरण सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया कि पूर्व विधायक पर आदिवासी नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कमरो नहीं चाहते कि इस क्षेत्र में कोई आदिवासी चेहरा उनकी बराबरी में आगे बढ़े। इस रवैये की वजह से पार्टी की स्थिति भरतपुर-सोनहत में लगातार कमजोर होती जा रही है।


कार्यकर्ताओं में नाराजगी, सख्त कार्रवाई की मांग


शरण सिंह ने कहा कि पूर्व विधायक की पार्टी विरोधी गतिविधियों से कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से मांग की है कि इस मामले की गहन जांच कर उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।


विपक्ष को मिल रहा मुद्दा


कांग्रेस की इस अंदरूनी कलह से विपक्ष को भी बैठे-बिठाए बड़ा मुद्दा मिल गया है। भरतपुर-सोनहत में कांग्रेस की कमजोर स्थिति और गुटबाजी के चलते आगामी चुनावों में पार्टी के लिए चुनौतियां और बढ़ सकती हैं। इस पूरे मामले में अभी तक प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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