कोरिया। राजनीति में जब जुनून, मेहनत और सच्चाई का साथ हो, तो उम्र सिर्फ एक संख्या बनकर रह जाती है। बैकुंठपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत सलबा में 26 साल के युवा आशु कुजूर ने ऐसा ही करिश्मा कर दिखाया है। अपने जज्बे और संघर्ष से उन्होंने पंचायत चुनाव में बड़े-बड़े सियासी धुरंधरों को शिकस्त देकर युवा नेतृत्व की ताकत को साबित कर दिया।
20 साल का गढ़ ढहाकर लिखी नई इबारत
आशु कुजूर की जीत सिर्फ एक चुनावी सफलता नहीं, बल्कि 20 साल से जमे सियासी वर्चस्व के अंत की कहानी है। पिता के असमय निधन के बाद आशु की मां ने कठिन संघर्षों के बीच उन्हें शिक्षा-दीक्षा दी। बचपन से ही समाज सेवा और राजनीति में रुचि रखने वाले आशु ने कम उम्र में ही जनता के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई।
इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के नेता एकजुट होकर इस युवा को रोकने की कोशिश में लगे थे। दूसरी तरफ, आशु कुजूर अकेले अपने दम पर मैदान में डटे रहे। बड़े नेताओं ने अपने वर्चस्व को बचाने के लिए हर हथकंडा अपनाया, पैसे और रसूख की ताकत झोंक दी, लेकिन जनता ने सच्चाई और मेहनत को अपना समर्थन दिया।
6 दिग्गजों को दी एकतरफा शिकस्त
सलबा पंचायत चुनाव में कुल 6 दिग्गज नेता मैदान में थे, लेकिन 26 साल के इस युवा ने सभी को पीछे छोड़ते हुए 166 मतों के बड़े अंतर से शानदार जीत दर्ज की। आशु कुजूर की यह जीत सिर्फ उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और युवा नेतृत्व की जीत है।
जनता ने दिखाया भरोसा, नई उम्मीदों के साथ मिला जनादेश
आशु कुजूर की इस ऐतिहासिक जीत के बाद गांव में जश्न का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने बदलाव और विकास के लिए वोट किया है। सभी को उम्मीद है कि युवा सरपंच के रूप में आशु कुजूर पंचायत में नई ऊर्जा और सोच के साथ काम करेंगे।
"जनता की सेवा ही मेरी प्राथमिकता" — आशु कुजूर
जीत के बाद आशु कुजूर ने कहा, "यह जीत मेरी नहीं, सलबा की जनता की जीत है। उन्होंने मुझ पर जो भरोसा दिखाया है, मैं उसे कभी टूटने नहीं दूंगा। गांव के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करूंगा।"
युवा जोश, साफ नीयत और कड़ी मेहनत की यह जीत पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है। आशु कुजूर की यह कामयाबी उन सभी युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो राजनीति में बदलाव और सच्चाई के साथ आगे बढ़ने का सपना देखते हैं।