कोरिया। भाजपा जिला अध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से जिला पंचायत अध्यक्ष मोहित पैकरा के निर्णय की सराहना करते हुए लिखा है कि — “जिला पंचायत अध्यक्ष श्री मोहित पैकरा जी ने सादगी और अनुशासन का शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी वाहन में पहले से हूटर लगा था, जिसे उन्होंने खुद ही हटा दिया। यह भाजपा के संस्कार हैं — सेवा और समर्पण हमारे नेतागण की पहचान है।”
भाजपा जिला अध्यक्ष की इस पोस्ट के बाद चर्चा का विषय यह बन गया कि जहां एक ओर जिला पंचायत अध्यक्ष स्वयं सादगी और नियम पालन का उदाहरण पेश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिले में कई जनपद पंचायत सदस्य और अन्य निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने वाहनों में हूटर (सायरन) लगाकर चल रहे हैं। ये वाहन मुख्य मार्गों पर आवाज़ करते देखे-सुने जाते हैं, जो न केवल सार्वजनिक असुविधा पैदा करते हैं बल्कि कानूनी उल्लंघन की श्रेणी में भी आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्पष्ट
देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में वीवीआईपी कल्चर और हूटर कल्चर को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि — “भारत गणराज्य में हर नागरिक समान है, किसी को भी विशेषाधिकार का दिखावा करने का अधिकार नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि केवल आपातकालीन सेवाओं — जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहन — को ही हूटर के इस्तेमाल की अनुमति दी जाए।
इसके बावजूद कई स्थानीय जनप्रतिनिधि अपने पद और प्रभाव के प्रदर्शन के लिए अपने निजी वाहनों पर हूटर लगाकर घूमते हैं, जो न सिर्फ कानून की अवहेलना है बल्कि लोकतंत्र की समानता की भावना के विपरीत भी है।
प्रशासनिक सख्ती की जरूरत
स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग को चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित करवाते हुए हूटर लगे वाहनों की तुरंत जांच और कार्रवाई करें। साथ ही जनप्रतिनिधियों को यह समझना चाहिए कि जनता की सेवा सादगी और नियम पालन से होती है, न कि पद के प्रदर्शन से।
जिला पंचायत अध्यक्ष मोहित पैकरा का कदम न केवल अनुशासन और सादगी का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि वास्तविक नेतृत्व वह है जो कानून से ऊपर नहीं, बल्कि कानून के अनुरूप चलता है। अब देखना है भाजपा के अन्य जनप्रतिनिधि अपने जिला अध्यक्ष की सलाह मानते है या नही।




