SC-ST विशेष न्यायालय बैकुंठपुर ने सुनाए तीन महत्वपूर्ण फैसले, आरोपियों को सजा

Chandrakant Pargir

 


कोरिया, 6 अगस्त 2025। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत कोरिया जिले में विशेष न्यायालय द्वारा हाल ही में तीन अलग-अलग प्रकरणों में महत्वपूर्ण फैसले सुनाए गए। सभी मामलों में पीड़ित अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग से हैं, जिन्हें सामाजिक उत्पीड़न, हिंसा एवं अमर्यादित व्यवहार का सामना करना पड़ा था। विशेष न्यायाधीश श्री आशीष पाठक ने दोषियों को कठोर कारावास एवं आर्थिक दंड की सजा सुनाई है।



 पहला मामला: महिला को जातिगत गाली-गलौच और मारपीट


विशेष प्रकरण क्रमांक 06/2023 में न्यायालय ने 31 जुलाई 2025 को फैसला सुनाते हुए आरोपियों श्रीमती जानकी यादव एवं राधा यादव को दोषी पाया। पीड़िता उमा पात्रे के साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए मारपीट की गई थी। आरोपियों को IPC की धारा 294, 506, 323, तथा SC-ST अधिनियम की धारा 3(1)(द), 3(1)(ध) के तहत दोषी मानते हुए 1-1 वर्ष का कारावास एवं 200-200 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई।



 दूसरा मामला:  पीड़िता के साथ अश्लील हरकत


विशेष प्रकरण क्रमांक 10/2024 में 30 जुलाई 2025 को न्यायालय ने आरोपी अमित कुमार श्रीवास्तव को दोषी करार दिया। पीड़िता जब स्कूल से लौट रही थी, तब आरोपी ने उसके साथ अश्लील हरकत की एवं धमकी भी दी। पीड़िता की शिकायत पर थाना चिरमी में अपराध दर्ज हुआ। न्यायालय ने आरोपी को IPC की धारा 354 के तहत 1 वर्ष की सजा व 500 रुपये जुर्माना, एवं धारा 354(ख) के अंतर्गत 3 वर्ष की सजा व 500 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई।



 तीसरा मामला: आर्थिक शोषण और जातिगत अपमान


विशेष प्रकरण क्रमांक 11/2023 में 4 अगस्त 2025 को फैसला सुनाते हुए आरोपी प्रांजल गुप्ता एवं अलका गुप्ता को दोषी पाया गया। प्रार्थी बिसाल को पैसे वापस न करने पर जातिसूचक गालियां दी गईं और मारपीट की गई। न्यायालय ने IPC की धारा 294, 506, 323, एवं SC-ST अधिनियम की धारा 3(1)(र), 3(1)(स) के तहत दोष सिद्ध होने पर 1-1 वर्ष का कारावास एवं 200-200 रुपये अर्थदंड से दंडित किया।



सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक ने की प्रभावी पैरवी


इन मामलों में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक द्वारा यह तर्क दिया गया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के खिलाफ हो रहे अपराधों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को सुरक्षा देना आवश्यक है ताकि वे अपने अधिकारों का स्वतंत्र रूप से उपयोग कर सकें।

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