बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में राज्य सरकार के मंत्रिमंडल की संख्या 14 होने को असंवैधानिक बताते हुए जनहित याचिका दायर की गई है। हाल ही में भाजपा सरकार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए तीन नए चेहरों को मंत्री बनाया था। इसके साथ ही कैबिनेट का आकार 11 से बढ़कर 14 हो गया। इस बढ़ोतरी पर कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है और अब यह मुद्दा अदालत तक पहुंच गया है।
याचिका में सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री समेत सभी 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया गया है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब मांगा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई। याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में पूर्व में डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कैबिनेट की वर्तमान संख्या संवैधानिक प्रावधानों और पूर्व निर्णयों के अनुरूप नहीं है।
गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 164(1A) के तहत किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती, हालांकि यह संख्या कम से कम 12 मंत्रियों से कम भी नहीं होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ विधानसभा की कुल सीटें 90 हैं, ऐसे में अधिकतम 15 प्रतिशत यानी 13.5 (लगभग 14) मंत्री बनाए जा सकते हैं। इसी बिंदु को लेकर अब विवाद गहराया है।
कांग्रेस ने कैबिनेट विस्तार को ‘संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन’ करार दिया है और इसे राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम बताया है। वहीं भाजपा इसे पूरी तरह संवैधानिक बताते हुए कह रही है कि सरकार ने नियमों का पालन करते हुए ही मंत्रिमंडल का गठन किया है।
अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जो मंगलवार को होगी। अदालत का फैसला राज्य की राजनीति और कैबिनेट के स्वरूप पर सीधा असर डाल सकता है।