सरगुजा से पिकअप में भरकर छोड़े जा रहे मवेशी, कोरिया की सड़कों पर बनी परेशानी, रात में ग्रामीणों ने पकड़ी संदिग्ध गाड़ी, मालिकों की पहचान मुश्किल, मवेशी हो रहे बेसहारा

Chandrakant Pargir

 


कोरिया। कोरिया जिले में सड़कों पर घूमते और बैठे मवेशी अब न केवल यातायात व्यवस्था के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, बल्कि इसके पीछे की वजह भी गंभीर होती जा रही है। ताजा मामला जिले के ग्राम पंचायत झरनापारा से सामने आया है, जहां रात के अंधेरे में एक पिकअप वाहन मवेशियों को छोड़ते हुए ग्रामीणों द्वारा पकड़ा गया। वाहन सरगुजा जिले की ओर से आया बताया जा रहा है। ग्रामीणों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी, जिस पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।



बेसहारा मवेशियों की बढ़ती संख्या बनी सिरदर्द


जिले की सड़कें, बाजार और सार्वजनिक स्थान अब आवारा मवेशियों से भरे हुए हैं। दुर्घटनाओं की आशंका, यातायात में अवरोध और स्वच्छता संबंधी दिक्कतें आम हो गई हैं। खासकर शाम और रात के समय सड़क पर बैठे मवेशी कई बार राहगीरों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं।




बाहरी जिलों से मवेशियों को लाकर छोड़े जाने का सिलसिला


स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि अन्य जिलों विशेषकर सरगुजा से पिकअप वाहन के जरिए बड़ी संख्या में मवेशियों को लाकर कोरिया जिले के गांवों और जंगलों में छोड़ा जा रहा है। इससे न सिर्फ स्थानीय चरागाह और खेती की जमीनों को नुकसान हो रहा है, बल्कि प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।


मालिकों की पहचान नहीं, प्रशासन भी असमंजस में


मवेशियों के कान या शरीर पर कोई भी पहचान चिन्ह न होने के कारण यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि ये किसके हैं। पशुपालक चोरी-छिपे मवेशियों को छोड़ रहे हैं ताकि जिम्मेदारी से बचा जा सके। इससे प्रशासन के सामने उनकी देखरेख, चारा और शेड व्यवस्था एक गंभीर समस्या बन गई है।


ग्रामीणों ने जताई नाराजगी, सख्त कार्रवाई की मांग


झरनापारा के ग्रामीणों ने इस पूरे घटनाक्रम पर नाराजगी जाहिर करते हुए प्रशासन से ऐसे पशु तस्करों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन ने निगरानी और रोकथाम की ठोस व्यवस्था नहीं की, तो गांवों में फसल चौपट और सड़कें असुरक्षित होती जाएंगी।


प्रशासन की चुनौती – मवेशियों की पहचान और पुनर्वास


अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन मवेशियों को कैसे सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए और उनके मालिकों की पहचान कैसे की जाए। पशुपालन विभाग, पुलिस और स्थानीय प्रशासन के बीच सामंजस्य के साथ योजना बनाकर ही इस बढ़ती हुई समस्या पर लगाम लगाई जा सकती है।


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