रायपुर। छत्तीसगढ़ में मेडिकल सप्लाई घोटाले के रूप में चर्चित 411 करोड़ रुपये के CGMSC (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन) घोटाले की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की संयुक्त कार्रवाई में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में अब तक पांच बड़े अधिकारियों के खिलाफ गहन जांच और कार्रवाई हो चुकी है, जिनमें CGMSC के तत्कालीन महाप्रबंधक बसंत कौशिक, तकनीकी महाप्रबंधक कमलकांत पाटनवार, स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई, शिरौंद्र रावटिया और दीपक बांधे के नाम शामिल हैं।
मामले की शुरुआत ईओडब्ल्यू को मिली प्रारंभिक शिकायत से हुई थी, जिसके बाद प्राथमिक जांच में भारी अनियमितताएं सामने आईं। जांच में पाया गया कि मेडिकल सामग्री की आपूर्ति में भारी गड़बड़ियां की गईं—घटिया क्वालिटी, फर्जी बिलिंग, बाजार दर से कई गुना ऊंची कीमतों पर भुगतान और बिना सप्लाई के भुगतान जैसे गंभीर घोटाले उजागर हुए। इसके बाद पांचों अधिकारियों को हिरासत में लेकर न्यायालय से 7 दिन की रिमांड पर भेजा गया।
हाल ही में रायपुर के भाठागांव स्थित कमलकांत पाटनवार के घर पर छापेमारी कर एजेंसियों ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, लैपटॉप, पेन ड्राइव, नकद और बैंक खातों की जानकारी जब्त की है। साथ ही इस बात के संकेत मिले हैं कि घोटाले की राशि कई फर्जी कंपनियों के जरिए घुमाई गई है।
ईडी अब मनी ट्रेल खंगाल रही है, जबकि ईओडब्ल्यू आपूर्ति से जुड़ी सभी निविदाओं, भुगतान आदेशों और दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है। मामले में कई बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक नामों के भी सामने आने की संभावना जताई जा रही है। इस पूरे घोटाले को लेकर प्रदेश की राजनीति में भी गर्माहट है, और विपक्ष ने सरकार से सीधा सवाल पूछते हुए जवाबदेही तय करने की मांग की है।
जांच एजेंसियों की माने तो आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं और मामला जल्द ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की दिशा में बढ़ रहा है। जनता की गाढ़ी कमाई से जुड़े इस बड़े घोटाले को लेकर पूरे राज्य में निगाहें अब अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।