प्रेस वार्ता: शिक्षकों और शालाओं के युक्तियुक्तकरण से शिक्षा में आएगा सुधार — कलेक्टर चंदन त्रिपाठी, जिला प्रशासन ने बताया योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है समायोजन, बच्चों को मिलेगी बेहतर शिक्षा

Chandrakant Pargir

 


कोरिया।  राज्य शासन के निर्देश पर शिक्षकों और शालाओं के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को लेकर कोरिया कलेक्टर चंदन त्रिपाठी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। उनके साथ अपर कलेक्टर अरुण मरकाम और जिला शिक्षा अधिकारी जितेंद्र गुप्ता भी उपस्थित थे।


कलेक्टर त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इससे ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों की स्कूलों में शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे, जहां अब तक शिक्षकों की भारी कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी।


उन्होंने बताया कि नगरीय क्षेत्रों में शिक्षक आवश्यकता से अधिक पदस्थ हैं, जबकि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल एकल शिक्षकीय या शिक्षकविहीन हैं। इस असंतुलन को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा व्यापक योजना बनाई गई है।


जिले में युक्तियुक्तकरण की स्थिति


जिले की 02 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन हैं जबकि 57 एकल शिक्षकीय हैं।


पूर्व माध्यमिक स्तर पर कोई भी शाला शिक्षकविहीन नहीं है, जबकि 01 शाला एकल शिक्षकीय है।


जिले में प्राथमिक स्कूलों के लिए 113 शिक्षक, और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में 33 शिक्षकों की आवश्यकता है।


जिले में 95 प्राथमिक शिक्षक और 75 पूर्व माध्यमिक शिक्षक अतिशेष हैं, जिनका पुनः समायोजन किया जा रहा है।



राज्य स्तरीय आंकड़े

राज्य में कुल 10,538 स्कूलों में से 10,297 स्कूल यथावत संचालित रहेंगे और केवल 241 स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में 212 प्राथमिक स्कूल शिक्षकविहीन और 6,872 एकल शिक्षकीय हैं। वहीं, 48 पूर्व माध्यमिक स्कूल शिक्षकविहीन और 255 एकल शिक्षकीय हैं।


समायोजन का उद्देश्य


छात्रों और शिक्षकों का अनुपात संतुलित हो।


विषय-विशेषज्ञों की उपलब्धता बढ़े।


एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई सुनिश्चित हो।


क्लस्टर मॉडल के तहत एक ही परिसर में शालाओं का विकास हो, जिससे आधारभूत संरचना का बेहतर उपयोग हो सके।



शहरी और ग्रामीण स्कूलों के बीच अंतर

जहां एक ओर रायपुर के नयापारा कन्या स्कूल में 33 छात्राओं पर 7 शिक्षक पदस्थ हैं, वहीं दुर्ग जिले के मुरमुदा हाई स्कूल में 63 छात्रों पर केवल 3 व्याख्याता कार्यरत हैं, जिससे परीक्षा परिणाम मात्र 47.62% रहा। सिलितरा और बिरेझर स्कूलों में हालात और भी खराब हैं, जहाँ एक भी व्याख्याता नहीं है और परिणाम 36.59% तथा 35% तक गिरा है।


बच्चों को मिलेगा लाभ

युक्तियुक्तकरण से न केवल ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी, बल्कि बच्चों को बेहतर बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं भी एक ही जगह पर मिल सकेंगी। साथ ही, उन्हें बार-बार प्रवेश प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ेगा, जिससे पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी।


कलेक्टर ने जताई उम्मीद

कलेक्टर त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षकों ने दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर सेवा देने का जो संकल्प लिया है, वह सराहनीय है। "हमने उन्हें उत्साहित करते हुए तालियों की गूंज के साथ विदाई दी," उन्होंने कहा। उन्होंने आश्वस्त किया कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी छात्र की पढ़ाई प्रभावित न हो।



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