जनकपुर में बैगा आदिवासी महिला का घर दबंगों ने तोड़ा, प्रशासन मौन, न्याय के लिए दर-दर भटक रही विधवा, शिकायत तक नहीं दर्ज – पूर्व जनपद अध्यक्ष डॉ विनय शंकर सिंह ने जताई कड़ी आपत्ति

Chandrakant Pargir


 

जनकपुर (एमसीबी)। जनकपुर क्षेत्र में आदिवासी समुदाय की एक निसहाय विधवा महिला के साथ हुए अमानवीय व्यवहार ने प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। बैगा आदिवासी वर्ग की कलावती पति स्व. शुक्ला राम, जो मजदूरी कर जीवन यापन करती हैं, का वर्षों पुराना घर दबंगों द्वारा दिन दहाड़े तोड़ दिया गया। आरोप है कि दबंगो ने यह करतूत खुलेआम अंजाम दी, जबकि प्रशासन पूरी तरह मौन रहा।



घटना 4 जून 2025 की है, जब कलावती अपने घर में ताला लगाकर मजदूरी पर गई थीं। उसी दौरान दबंगों ने घर पर कब्जा जमाते हुए तोड़फोड़ कर दिया। पीड़िता जब न्याय की आस में जनकपुर थाने पहुंची तो वहां न तो उसकी एफआईआर दर्ज की गई और न ही कोई कार्रवाई की गई। प्रशासन की चुप्पी और महिला की उपेक्षा ने पूरे आदिवासी समाज को आक्रोशित कर दिया है।



इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस के पूर्व जनपद अध्यक्ष डॉ. विनय शंकर सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि "भाजपा सरकार आदिवासियों के खिलाफ निरंतर अन्याय कर रही है। एक विधवा महिला को बेघर करना मानवता के विरुद्ध है। प्रशासनिक निष्क्रियता शर्मनाक है। यह सरकार की कथित सुशासन की असलियत है, जिसे जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।"


डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं आदिवासी पृष्ठभूमि से आते हैं और जब उनके शासनकाल में ही आदिवासियों को घर से बेदखल किया जा रहा है, तो यह सुशासन नहीं बल्कि एक क्रूर मजाक है। उन्होंने मांग की है कि पीड़िता की तत्काल सुनवाई हो, दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और महिला को आवासीय पुनर्वास प्रदान किया जाए।


ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही न्याय नहीं मिला तो वे सामूहिक प्रदर्शन करेंगे। मामले ने पूरे जनकपुर और आसपास के क्षेत्रों में रोष का माहौल बना दिया है।



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