श्रीराम के आदर्श चरित्र का अनुकरण करने से जीवन होगा सफल : भाजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र तिवारी, श्रीरामचरित मानस गायन वादन सम्मेलन का कैलाशपुर में हुआ भव्य आयोजन

Chandrakant Pargir

 



 सोनहत। सोनहत विकासखंड के ग्राम कैलाशपुर में श्रीरामचरित मानस गायन वादन सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ। इस आयोजन में विभिन्न ग्रामों से आई मंडलियों ने अपने सुंदर गायन और वादन से दर्शकों का मन मोह लिया। प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागियों ने दिए गए दोहों व चौपाइयों पर भावपूर्ण प्रस्तुति दी तथा उनके भावार्थ को भी समझाते हुए भजन प्रस्तुत किए।



कार्यक्रम का शुभारंभ भाजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र तिवारी, जिला सह मीडिया प्रभारी तीरथ राजवाड़े, मंडल अध्यक्ष राजाराम राजवाड़े, महामंत्री मनोज साहू, पूर्व जनपद सदस्य कृष्ण कुमार राजवाड़े, जनपद अध्यक्ष आशादेवी सोनपाकर, युवा मोर्चा जिला मंत्री रमेश तिवारी, जनपद सदस्य सोनिया राजवाड़े, आलेश्वरी गौतम सहित अन्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। आयोजन समिति के सदस्यों ने सभी अतिथियों का चंदन व बैच लगाकर स्वागत किया।



अपने संबोधन में भाजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र तिवारी ने कहा, “प्रभु श्रीराम के आदर्श चरित्र का अनुकरण करने से ही मानव जीवन का उद्धार संभव है। वे सत्य, न्याय, संयम और सहनशीलता के प्रतीक हैं। यदि हम उनके चरित्र से कुछ गुण भी आत्मसात कर लें, तो हमारा जीवन सफल और सार्थक हो जाएगा। भगवान श्रीराम की मर्यादा और सहनशीलता आज के समाज के लिए अनुकरणीय है।”


इस धार्मिक आयोजन में आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण और श्रोता उपस्थित रहे। आयोजन में मंडलियों ने भावपूर्ण दोहा-चौपाई गायन के साथ-साथ सुंदर वादन भी प्रस्तुत किया और निर्णायकों से अंक प्राप्त किए।


आयोजन समिति की सक्रिय भूमिका


कार्यक्रम की सफलता में आयोजन समिति के सदस्य सोनिया सुमिंत राजवाड़े, सरपंच रूपवती चेरवा, बसंत लाल, सुरेंद्र, हरिगोविंद, महिपाल, धर्मसाय, सकत्तर प्रसाद, श्याम, अरविंद, यवत, रामकृपाल, मदन मोहन, आसन, राहुल, ईश्वर, प्रकाश, सुमित, किस्मत, विष्णु, धर्मसाय, श्यामलाल, रामकुमार, भवन कुमार, महेन्द्र, मंगलेश्वर, उदयभान, समयलाल, देवनारायण, रमेश, शकुंतला, इंद्रा, भगवती, रंभा, राजकुमारी, अंजू, तुलसी, महिमा, सीमा, निलेश्वरी, तुलेश्वरी, थनिता, प्रमिला, लक्ष्मी राजवाड़े आदि की सराहनीय भूमिका रही।


यह सम्मेलन न केवल ग्रामीण संस्कृति और लोक परंपराओं को संजोने का माध्यम बना, बल्कि धार्मिक जागरूकता और सद्गुणों के प्रचार-प्रसार का भी सशक्त मंच सिद्ध हुआ।




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