4 जून की सुबह शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण के विरोध को लेकर खबर कवर करने निकला, जब रामानुज मिनी स्टेडियम , बैकुंठपुर पहुंचा तो एकनज़र उधर गई तो वहां सन्नाटा पसरा था, तब कहीं ना कहीं मेरे साथ हर खेलप्रेमी के मन में एक खालीपन सा महसूस हो रहा था। कारण साफ़ था – कोरिया प्रीमियर लीग 2025, जो 12 मई से शुरू होकर 2 जून को भव्य समापन के साथ खत्म हुआ, उसने लोगों के दिलों में ऐसा स्थान बना लिया था कि अब उसकी हलचल की यादें रह-रहकर दिलों को झंकृत कर रही हैं।
जिस मैदान पर बीते दिनों तक दर्शकों की भीड़, खिलाड़ियों का जोश और आयोजकों की मेहनत नज़र आती थी, वही मैदान अब अपनी खामोशी से उस सुनहरे अध्याय को दोहराता सा प्रतीत हो रहा है। लेकिन जो पीछे छूट गया, वह सिर्फ टूर्नामेंट नहीं, बल्कि अनुशासन, समर्पण और सामूहिकता की एक प्रेरणादायक कहानी है।
कोई विवाद नहीं – यह है असली जीत
KPL 2025 की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि पूरा टूर्नामेंट बिना किसी विवाद के संपन्न हुआ। इतने बड़े आयोजन में 32 टीमों का हिस्सा होना, हजारों दर्शकों का जुटना और फिर भी पूर्ण अनुशासन में हर मैच का समापन – यह अपने आप में बैकुंठपुर की परिपक्वता और आयोजन समिति की कुशलता का प्रमाण है।
आइसक्रीम, मुगौड़ी और वो मानवीय स्पर्श
आपने बहुत टूर्नामेंट देखे होंगे, लेकिन किसी फाइनल मैच में दर्शकों को आइसक्रीम बांटी जाती देखना अपने आप में एक नया अनुभव था। शहर के व्यवसायी अभय बड़ेरिया और अपना बैकुंठपुर समूह ने दर्शकों को केवल मैच का आनंद ही नहीं दिया, बल्कि उनके लिए मुगौड़ी, आलू बड़ा और आइसक्रीम जैसे छोटे-छोटे खुशियों के पल भी सहेज दिए। यह आयोजन को ‘जन-उत्सव’ बनाने का सबसे जीवंत उदाहरण है।
युवा जोश, मजबूत टीमवर्क
अपना बैकुंठपुर टीम के हर सदस्य ने यह दिखा दिया कि जब युवा जोश संगठन, दृष्टि और अनुशासन के साथ जुड़ता है, तब कोई भी आयोजन असंभव नहीं रह जाता। कोई मंच पर था, कोई मैदान में, कोई माइक के पीछे था, तो कोई लाइट, आवाज़, सफाई, भोजन या पानी की व्यवस्था में—लेकिन हर किसी की भूमिका बराबर थी, जरूरी थी और शानदार थी। इस टीम ने यह भी दिखाया कि सिर्फ प्रशासनिक संसाधनों से नहीं, जनसहयोग और सेवाभाव से भी बड़े आयोजन सफल हो सकते हैं। शहर के व्यवसायियों, छोटे दुकानदारों, छात्र-युवाओं, मीडिया और सामान्य नागरिकों ने इस आयोजन को अपने दिल से अपनाया।
मीडिया की सकारात्मक भूमिका
स्थानीय मीडिया ने हर दिन KPL की खबरों को प्रमुखता दी। यह सिर्फ मैच की रिपोर्टिंग नहीं थी, बल्कि स्थानीय खेल को उसकी असली पहचान देने की कोशिश थी। अख़बारों में रोज़ छपती हेडलाइंस ने न सिर्फ दर्शकों को जोड़े रखा, बल्कि आयोजकों को भी हर दिन बेहतर करने की प्रेरणा दी।
“जैसा नाम है बैकुंठपुर, वैसा हमने पाया भी”
यह बात कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, कोरिया के पुलिस अधीक्षक श्री रवि कुर्रे ने फाइनल में अपने संबोधन में कही, और यह पूरे आयोजन की सार्थकता का प्रमाण है। बैकुंठपुर ने साबित कर दिया कि यह सिर्फ एक शहर नहीं, एक भावना, एक प्रेरणा और एक उदाहरण है।
KPL 2025 सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं था – यह संगठन, सद्भाव, सेवा और संस्कारों की जीत थी। 'अपना बैकुंठपुर' की टीम ने जो कर दिखाया है, वह आने वाले आयोजनों के लिए मॉडल बन चुका है। अब जब स्टेडियम खाली है, मैदान शांत है, पर दिलों में जो हलचल है, वो बताती है,
अब अगले साल KPL फिर आएगा फिर नया जोश और नई कहानी दिखेगी।