ढोढ़ी का गंदा पानी पीने को मजबूर पंडो जनजाति, सालों से खराब हैंडपंप, प्रशासन बेखबर

Chandrakant Pargir

 


बैकुंठपुर, कोरिया।

जिला मुख्यालय से महज 13 किलोमीटर दूर स्थित परसापानी गांव में पंडो जनजाति के 37 परिवार आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजार रहे हैं। चम्पाझर ग्राम पंचायत के इस आश्रित ग्राम में वर्षों से एकमात्र हैंडपंप खराब पड़ा है, लेकिन अब तक उसकी मरम्मत तक नहीं हो पाई। परिणामस्वरूप, यह समुदाय आज भी एक दूषित जल स्रोत 'एल ढोढ़ी' पर निर्भर है, जो चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है और जहां तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को कठिन पैदल रास्ता तय करना पड़ता है।



यह ढोढ़ी पीने के पानी का एकमात्र स्रोत है, लेकिन इसका पानी बेहद गंदा और असुरक्षित है। महिलाएं इसे कपड़े से छानकर बर्तनों में भरकर घर लाती हैं। यही पानी पीने, नहाने और कपड़े धोने जैसे रोजमर्रा के कार्यों में भी उपयोग होता है। गर्मी के मौसम में यह जल स्रोत और अधिक दूषित हो जाता है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ रहा है। पंडो जनजाति, जो कि विशेष रूप से संरक्षित वर्ग में आती है, उनके लिए यह स्थिति बेहद चिंता का विषय है।



मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से यह गांव भले ही सड़क मार्ग से जुड़ चुका है, लेकिन अब भी स्वास्थ्य और स्वच्छ पेयजल जैसी आवश्यक सुविधाएं यहां केवल एक उम्मीद बनकर रह गई हैं। स्थानीय पंडो लोगों का कहना है कि उन्हें आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर नहीं मिला, और वे आज भी कच्चे मकानों में रहने को मजबूर हैं। इसके साथ ही उन्हें वर्षों से तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि भी नहीं मिली है, जिससे उनका आर्थिक संकट और गहराता जा रहा है।



जनजातीय अधिकारों की खुली अनदेखी


वर्षों से खराब पड़े हैंडपंप और प्रशासन की चुप्पी जनजातीय अधिकारों की खुली अनदेखी को दर्शाती है। जबकि सरकार द्वारा पंडो जनजाति के लिए कई विकास योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन परसापानी जैसे गांवों में उनका कोई प्रभाव नहीं दिखता। यह लापरवाही न केवल सरकारी दावों पर सवाल खड़े करती है, बल्कि जनजातीय समुदाय के अस्तित्व पर भी संकट पैदा कर रही है।


ग्रामीणों की मांग: स्वच्छ पानी की व्यवस्था हो तत्काल


ग्रामीणों ने मांग की है कि परसापानी गांव में तुरंत नया हैंडपंप लगाया जाए, या सोलर पेयजल योजना के तहत सुरक्षित पानी की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा, आवास योजना का लाभ और तेंदूपत्ता की लंबित राशि भी शीघ्र दिलाई जाए, ताकि यह उपेक्षित जनजातीय समुदाय सम्मान और अधिकार के साथ जीवन जी सके।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!