अवैध प्लाटिंग को लेकर शिकायत, कलेक्टर के आदेशों की उड़ रही धज्जियाँ, उप-पंजीयक और तहसीलदार पर भू-माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप

Chandrakant Pargir

 


मनेन्द्रगढ़। नगर पालिका क्षेत्र मनेन्द्रगढ़ एवं आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद ज़मीन की अवैध खरीदी-बिक्री धड़ल्ले से जारी है। इस गंभीर विषय को लेकर नागरिक रघुनाथ पोद्दार ने कलेक्टर  को एक विस्तृत शिकायत पत्र सौंपा है, जिसमें संबंधित अधिकारियों पर भू-माफियाओं को लाभ पहुँचाने और शासन को राजस्व हानि पहुँचाने के आरोप लगाए गए हैं।




कलेक्टर ने 23 दिसंबर को जारी किए थे सख्त निर्देश

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर ने अपने पत्र में स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे।
इन निर्देशों में कहा गया था कि

> "नगर पालिका मनेन्द्रगढ़ (शहरी) एवं ग्रामीण क्षेत्रों — चैनपुर, चौघड़ा, चनवारीडांड, लालपुर, परसगढ़ी, डोमनापारा एवं भलौर में सहायक संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश बैकुण्ठपुर की रिपोर्ट के बिना किसी भी प्रकार की जमीन की खरीदी-विक्री नहीं की जाएगी।"

इसके बावजूद पंजीयन कार्यालय द्वारा कई मामलों में इन निर्देशों की अवहेलना कर खरीदी-विक्री की गई।


"कलेक्टर को निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं" — पंजीयक की कथित टिप्पणी

शिकायतकर्ता ने बताया कि उप-पंजीयक से मौखिक चर्चा में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि "कलेक्टर को ऐसे निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है और आप जहाँ चाहें शिकायत करें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।"
यह बयान प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है और नियमों की अवहेलना की मानसिकता को उजागर करता है।

नकद में राशि वसूल कर शासन को स्टाम्प शुल्क में घाटा

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि पंजीयन में जितनी राशि दर्शाई गई है, उससे अधिक रकम क्रेता से नगद में वसूली गई है, जिससे शासन को स्टाम्प शुल्क के रूप में होने वाली आय में भारी नुकसान हुआ है। शिकायतकर्ता ने इन सभी दस्तावेजों की जांच कर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

कड़ी कार्रवाई की मांग, जांच की गुहार

शिकायतकर्ता रघुनाथ पोद्दार ने कलेक्टर से अनुरोध किया है कि 23 दिसंबर को जारी निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए और जिन अधिकारियों ने इन आदेशों की अवहेलना की है, उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जाए।

अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह शिकायत भी कागजों तक ही सीमित रह जाएगी।


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