कोरिया। दक्षिण पूर्व मध्य कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की चरचा माइन आरओ में हुई एक दुखद और गंभीर दुर्घटना को एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन खनन सुरक्षा महानिदेशालय (DGMS) अब तक अपनी तकनीकी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहा है। यह मामला न केवल SECL की श्रमिक सुरक्षा के प्रति घोर लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सिस्टम की सुस्त कार्यशैली और प्रशासनिक असंवेदनशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
एक साल पुरानी घटना
6 मार्च 2024 को तीसरी शिफ्ट (रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे) के दौरान, विभागीय कर्मचारी दंश कुमार, उम्र 34 वर्ष, को 91एलडब्ल्यू के सब पैनल-2 में बेल्ट सफाई कार्य हेतु तैनात किया गया था। शिफ्ट के दौरान कार्यरत संविदा सीएम ऑपरेटर शमीम खान नींद में थे और सीएम संचालन नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में शिफ्ट सुपरवाइजर ने दंश कुमार को सीएम संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी, जो उनके कार्य क्षेत्र का हिस्सा नहीं था।
प्रातः लगभग 5:50 बजे अचानक कोयले की जोरदार टक्कर से घबराकर दंश कुमार ने स्वयं को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान वे फिसलकर गिर पड़े और गंभीर रूप से घायल हो गए। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल चुरचा लाया गया, जहाँ से स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्हें अपोलो अस्पताल, बिलासपुर रेफर किया गया। दुर्भाग्यवश, वहीं उनका निधन हो गया।
एक साल बाद भी रिपोर्ट नहीं: सवालों के घेरे में DGMS और SECL
इस दुर्घटना को अब एक साल से अधिक हो चुका है, फिर भी न तो DGMS द्वारा जांच पूरी की गई और न ही SECL प्रबंधन की ओर से कोई जवाबदेही तय की गई। मृतक कर्मचारी के परिजन आज भी न्याय की बाट जोह रहे हैं, जबकि दुर्घटना की तकनीकी रिपोर्ट अब तक ठंडे बस्ते में है।
प्रमुख सवाल जो SECL से जवाब मांगते हैं:
1. कार्यस्थल पर निगरानी का अभाव: संविदा ऑपरेटर का ड्यूटी के दौरान नींद में होना क्या सुरक्षा व्यवस्था की खुली नाकामी नहीं है?
2. अनधिकृत संचालन: एक बेल्ट क्लीनर को सीएम संचालन की जिम्मेदारी देना क्या SECL की सुरक्षा नीति के खिलाफ नहीं है?
3. रिपोर्ट में देरी: एक साल से अधिक समय बीतने के बावजूद जांच रिपोर्ट जारी न होना — क्या इसमें कोई पर्दादारी या लापरवाही छुपाई जा रही है?
श्रमिक संगठनों का विरोध और माँग:
मामले को लेकर श्रमिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यूनियन नेताओं ने कहा कि यह दुर्घटना SECL की लापरवाही का सीधा परिणाम है। उन्होंने DGMS से तत्काल रिपोर्ट सार्वजनिक करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही मृतक के परिवार को शीघ्र व न्यायसंगत मुआवजा देने की अपील भी की है।
वही SECL के चरचा माइन में हुई यह दर्दनाक दुर्घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या आज भी श्रमिकों की जान की कोई कीमत नहीं है?