मनेन्द्रगढ़। मनेन्द्रगढ़ वन मंडल में बीते 20 दिनों से जारी जंगल की आग और वन विभाग की लापरवाही को लेकर टाइट न्यूज़ और इनसाइड स्टोरी की विशेष रिपोर्ट का बड़ा असर हुआ है। शनिवार को मुख्य वन संरक्षक (CCF) स्तर का उड़नदस्ता कुँवारपुर परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 1232 पहुंचा और मौके पर जाकर जले हुए कूपों की गहन जांच शुरू कर दी है। वही कल शाम को आई खबर के बाद हड़कंप मचा रहा, सूत्र बताते है कि कुँवारपुर परिक्षेत्र के अधिकारी ने फायर सीजन में कुछ कर्मचारियों को छुट्टी दे दी थी बाद में उसे निरस्त कर उन्हें काम पर बुलाया है।
उल्लेखनीय है कि जनवरी-फरवरी माह में कूप कटिंग के तहत बड़ी संख्या में नाप-जोखकर लकड़ी के चट्टे बनाए गए थे, जो विभागीय लापरवाही के चलते पूरी तरह राख हो गए। रिपोर्ट सामने आने के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया है और अब जांच टीम उस स्थान पर पहुंच चुकी है, जिसकी तस्वीरें और जानकारी टाइट न्यूज़ ने सबसे पहले उजागर की थी।
एक और बड़ी लापरवाही
इधर, एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। जानकारी के अनुसार, कुँवारपुर परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 1268 में वर्ष 2023 में कैम्पा योजना के तहत पौधरोपण किया गया था। वर्ष 2024 में केजुअल्टी रिप्लांटेशन के तहत नए पौधे लगाए गए थे, लेकिन 2025 में लगी आग से पूरा प्लांटेशन जलकर खाक हो गया। यह घटना विभाग की उस घोर अनदेखी को उजागर करती है, जहां करोड़ों की योजनाएं सिर्फ कागजों पर चलती हैं और फील्ड में कोई निगरानी नहीं होती।
वन मंडल में जारी आगजनी और विभागीय निष्क्रियता को लेकर अब सवाल और तीखे हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते अलर्टनेस दिखाई जाती, तो न तो करोड़ों की लकड़ी जलती और न ही बहुमूल्य पौधरोपण राख में तब्दील होता।
अब जब सीसीएफ का दल जांच में जुट चुका है, तो स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह जांच भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चली जाएगी।
टाइट न्यूज़ इस संवेदनशील मुद्दे पर लगातार नजर बनाए हुए है और जिम्मेदारों से यह सवाल दोहराता है—क्या जंगलों की सुरक्षा की जवाबदेही तय होगी या हर साल इसी तरह सरकारी योजनाएं जलती रहेंगी?