मनेन्द्रगढ़। मनेन्द्रगढ़ वन मंडल में मसौरा बीट के कक्ष क्रमांक 1232 और 1233 में कूप कटाई के बाद रखे गए लकड़ी के चट्टे आगजनी की घटनाओं में जलकर राख हो चुके हैं। इस गंभीर मामले को उजागर करने के बाद टाइट न्यूज़ और इनसाइड स्टोरी की रिपोर्ट का असर तो हुआ, लेकिन विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल अब और गहरे हो गए हैं। कूप जलने की जांच के लिए सरगुजा से पहुँची CCF स्तर की उड़नदस्ता टीम केवल औपचारिकता निभाकर लौट गई।
मिली जानकारी के अनुसार, उड़नदस्ते को जंगल में ले जाने के लिए तरतोरा मार्ग का चयन किया गया, जबकि कक्ष क्रमांक 1232 और 1233 तक पहुंचने के लिए सेरी मार्ग अधिक उपयुक्त और व्यावहारिक था। सेरी मार्ग से यदि टीम जंगल में प्रवेश करती तो उन्हें वो वास्तविक क्षेत्र दिखता जहां सैकड़ों की संख्या में चट्टे आग की भेंट चढ़ चुके हैं। लेकिन जानबूझकर टीम को सीमित क्षेत्र दिखाया गया और महज एक घंटे की रुकावट के बाद जांच का ड्रामा समाप्त कर टीम जनकपुर की ओर रवाना हो गई।
उल्लेखनीय है कि एक कक्ष औसतन 25 से 30 एकड़ क्षेत्र में फैला होता है और मसौरा बीट में आग से प्रभावित क्षेत्र काफी बड़ा है। इसके बावजूद टीम ने न तो पूरे क्षेत्र का निरीक्षण किया और न ही उन जगहों तक गई जहां वन संपदा का सबसे अधिक नुकसान हुआ है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, टीम के दौरे को विभाग ने सिर्फ खानापूर्ति और “ऊपरी दबाव” से बचाव के लिए किया। अब विभाग उड़नदस्ता टीम की आवभगत और भ्रमण व्यवस्था में जुट गया है।
वन क्षेत्र में इस तरह की गंभीर घटना के बावजूद यदि जांच टीम को जमीनी हकीकत से दूर रखा गया तो यह साफ है कि विभाग नुकसान की वास्तविक तस्वीर छिपाना चाहता है। इससे न केवल पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि यह पूरे वन प्रशासन की संधारणीयता और जवाबदेही पर भी गंभीर सवालिया निशान छोड़ता है।
अब देखना होगा कि क्या उच्च स्तर पर इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच होगी या फिर विभागीय गठजोड़ के चलते यह मामला भी जले हुए चट्टों की तरह राख बनकर रह जाएगा। टाइट न्यूज़ और इनसाइड स्टोरी इस मुद्दे पर लगातार नजर बनाए हुए है और आगे भी सच सामने लाता रहेगा।