शासकीय भवन पर वर्षों से अवैध कब्जा, बकाया वसूली अब तक लंबित; बगल में निजी मकान का अवैध निर्माण अंतिम चरण में

Chandrakant Pargir

 


जनकपुर (जिला एमसीबी, छत्तीसगढ़)। शासकीय परिसरों पर कब्जे और शासन को आर्थिक क्षति पहुँचाने का एक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें सेवानिवृत्त सहायक ग्रेड-2  द्वारा न केवल शासकीय आवास पर वर्षों तक अवैध कब्जा किया गया, बल्कि उसी परिसर से लगे स्थान पर अब उनका निजी मकान भी अवैध रूप से बन कर तैयार हो रहा है। शासन द्वारा पारित वसूली आदेश के बावजूद अब तक बकाया राशि जमा नहीं की गई है।

 


प्राप्त जानकारी के अनुसार, सेवानिवृत्त सहायक ग्रेड 2 वर्ष 1998-99 से जनकपुर स्थित एक शासकीय आवास में बिना किसी अधिकृत आबंटन के निवासरत थे। इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी (रा.) भरतपुर द्वारा 2021 में लोक परिसर (बेदखली) अधिनियम 1974 के तहत कार्रवाई की गई थी। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से पाया कि सेवानिवृत्त सहायक ग्रेड 2 शासकीय भवन में अवैध रूप से निवास कर शासन को आर्थिक क्षति पहुँचा रहे हैं।


₹18,996 की वसूली का आदेश, अब तक नहीं हुई राशि जमा


प्रशासन द्वारा ₹18,996 की बकाया राशि की वसूली हेतु आदेश पारित किया गया था, जिसे दो माह के भीतर जमा किया जाना था। परंतु हैरानी की बात यह है कि सेवानिवृत्त सहायक ग्रेड 2  ने यह राशि अब तक जमा नहीं की है। इस विषय में न्यायालय ने स्कूल प्राचार्य को वसूली का निर्देश दिया था, लेकिन पालन प्रतिवेदन भी अब तक प्राप्त नहीं हुआ।


रिक्तता प्रमाणपत्र देकर पेंशन प्राप्त, जबकि भवन अभी भी कब्जे में


सबसे गंभीर तथ्य यह है कि सेवानिवृत्त सहायक ग्रेड 2 ने उक्त शासकीय भवन को खाली किए बिना ही प्राचार्य से रिक्तता प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया और पेंशन प्रकरण का निराकरण करा लिया। यह प्रशासन को भ्रमित कर लाभ प्राप्त करने की गंभीर अनियमितता मानी जा रही है।


अब बना रहे हैं निजी मकान – वो भी अवैध रूप से


स्थानीय नागरिकों और स्कूल स्टाफ की शिकायत है कि सेवानिवृत्त सहायक ग्रेड 2 उसी शासकीय भवन के ठीक बगल में अपना निजी मकान अवैध रूप से निर्माण करा रहे हैं। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है और अब तक न तो तहसील कार्यालय ने कार्य को रोका और न ही प्रशासन ने कोई स्पष्ट रुख अपनाया है।


प्रशासनिक चूक या मिलीभगत?


इस पूरे प्रकरण से यह संदेह उत्पन्न होता है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही या मिलीभगत रही है, जिससे इस तरह की अनियमितता को बल मिला। सवाल यह उठता है कि एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी कैसे शासकीय आवास में वर्षों तक बिना आबंटन के रह सकता है, पेंशन ले सकता है और बगल में अवैध मकान भी बना सकता है – और फिर भी कोई कठोर कार्रवाई नहीं होती?


जनहित में तत्काल कार्रवाई की मांग


स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि प्रशासन इस मामले में कठोर कार्रवाई करे –


अवैध कब्जे को तत्काल हटाया जाए,

शासकीय बकाया की वसूली कराई जाए,

झूठे प्रमाणपत्र देने वाले जिम्मेदारों पर जांच बैठाई जाए,

और बगल में हो रहे अवैध निर्माण को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।


यह मामला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि अन्य सरकारी परिसरों की सुरक्षा व जवाबदेही पर भी गंभीर चिंता उत्पन्न करता है।


#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!