कोरिया जिले में राष्ट्रीय व्योवृद्ध स्वास्थ्य संरक्षण कार्यक्रम का बजट, लेकिन लाभ से वंचित बुजुर्ग

Chandrakant Pargir

 



कोरिया। बुजुर्गों के स्वास्थ्य संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय व्योवृद्ध स्वास्थ्य संरक्षण कार्यक्रम (NPHCE) के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए लाखों रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था। इसके तहत जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में जराचिकित्सा (Geriatric) देखभाल के लिए जरूरी उपकरण, दवाएं, प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी थीं। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि जिले में इस योजना की जानकारी आम जनता को नहीं है, और न ही बुजुर्गों को इसका पूरा लाभ मिल पा रहा है।


स्वीकृत बजट और योजनाएं


राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत कोरिया जिले के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत लाखों रुपये आवंटित किए गए।


जिला अस्पताल में जराचिकित्सा देखभाल के लिए उपकरणों और फर्नीचर की खरीद हेतु 1.50 लाख रुपये


जराचिकित्सा दवाओं एवं उपभोग्य सामग्रियों की खरीद के लिए 4.00 लाख रुपये


चिकित्सकों एवं नर्सों के प्रशिक्षण के लिए 0.80 लाख रुपये


सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जराचिकित्सा देखभाल के लिए 0.50 लाख प्रति केंद्र


आईईसी (सूचना, शिक्षा एवं संचार) गतिविधियों के लिए 2.20 लाख रुपये


इन योजनाओं का उद्देश्य बुजुर्गों के लिए विशेष चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना, मल्टीस्पेशलिटी हेल्थ कैंप आयोजित करना और जराचिकित्सा देखभाल को प्राथमिकता देना था।


लाभ से वंचित बुजुर्ग, जानकारी तक नहीं


जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जराचिकित्सा सेवाओं के लिए सरकार ने बजट तो स्वीकृत किया, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसकी उपलब्धता को लेकर संदेह बना हुआ है। जिले के कई बुजुर्गों को इस योजना के बारे में जानकारी ही नहीं है। गांवों में रहने वाले बुजुर्गों तक कोई प्रचार-प्रसार नहीं हुआ और स्वास्थ्य केंद्रों में भी विशेष जराचिकित्सा सेवाएं नजर नहीं आ रही हैं।


कोरिया जिले के बुजुर्ग रामनाथ सिंह (68 वर्ष) ने बताया, "सरकार ने बुजुर्गों के लिए योजना बनाई है, यह हमें आज तक पता ही नहीं चला। अस्पताल में भी कोई अलग से बुजुर्गों के लिए सुविधा नहीं दिखती।"


जिला प्रशासन को करना चाहिए जांच


इस योजना के अंतर्गत मिले बजट का सही उपयोग हुआ या नहीं, इसकी जांच जिला प्रशासन को करनी चाहिए। सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी जिलों को स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर संचालन और बुजुर्गों के लाभ के लिए कठोर मॉनिटरिंग करनी थी। लेकिन कोरिया जिले में इसका सही क्रियान्वयन नहीं होने से सरकार की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को इस योजना की पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि बुजुर्गों को उनका हक मिल सके। साथ ही, आम जनता तक इस योजना की जानकारी पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।


राष्ट्रीय वयोवृद्ध स्वास्थ्य संरक्षण कार्यक्रम (एनपीएचसीई) की शुरुआत 2010 में हुई थी. यह कार्यक्रम बुज़ुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए है. इस कार्यक्रम का मकसद है कि 60 साल और उससे ज़्यादा उम्र के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें।


इस कार्यक्रम के तहत किए जाने वाले काम:


समुदाय आधारित प्राथमिक स्वास्थ्य उपचारात्मक और पुनर्वास सेवाएं देना 


परिवार के अंदर चिकित्सा और अर्ध-चिकित्सा पेशेवरों की क्षमता को बढ़ाना 


वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याओं के लिए चिकित्सा शिक्षा को बेहतर करना 


मशीनरी, उपकरण, प्रशिक्षण, और अतिरिक्त मानव संसाधन मुहैया कराना 


पीएचसी/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) स्तर पर समर्पित सेवाएं देना 


इस कार्यक्रम की वजह:



बुज़ुर्गों के सामने आने वाली स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों से निपटना 


विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीआरपीडी) 


भारत सरकार द्वारा 1999 में अपनाई गई वृद्ध व्यक्तियों पर राष्ट्रीय नीति (एनपीओपी) 


माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 

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