छात्राओं से अमर्यादित व्यवहार के मामले में व्याख्याता निलंबित, प्रशासन पर लापरवाही के आरोप

Chandrakant Pargir


 

 

रायपुर, 08 मार्च 2025 — छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) जिले के शासकीय हाईस्कूल में छात्राओं के साथ अमर्यादित व्यवहार के मामले ने शिक्षा विभाग में हलचल मचा दी है। छात्राओं की शिकायत पर हुई जांच में दोषी पाए गए व्याख्याता (एल.बी.)  प्रवीण कुमार गुप्ता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। लोक शिक्षण संचालनालय ने 07 मार्च 2025 को इस संबंध में आदेश जारी किया, जिसमें उनके कृत्य को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के तहत गंभीर कदाचरण करार दिया गया।


हालांकि, इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। इनसाइड स्टोरी ने सबसे पहले इस प्रकरण को उजागर किया था, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा। आश्चर्य की बात यह है कि जांच में दोष सिद्ध होने के बावजूद अब तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।


जांच में पुष्टि के बाद निलंबन आदेश

छात्राओं द्वारा किए गए आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में श्री गुप्ता के अमर्यादित व्यवहार की पुष्टि करते हुए उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। इसके आधार पर लोक शिक्षण संचालनालय ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनका मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी (एमसीबी) कार्यालय में नियत किया। निलंबन अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा।


प्रशासन पर शिक्षक को बचाने के आरोप

इस प्रकरण में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ), मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर की भूमिका संदेह के घेरे में है। आरोप है कि डीईओ ने शुरुआत से ही मामले को दबाने और आरोपी शिक्षक को बचाने की कोशिश की। यही वजह है कि जांच रिपोर्ट में दोष सिद्ध होने और निलंबन आदेश जारी होने के बावजूद अब तक पुलिस में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।


छात्राओं और अभिभावकों में आक्रोश

इस पूरे मामले को लेकर छात्राओं और अभिभावकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में त्वरित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।


प्रशासन कब जागेगा?

यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की साख पर सवाल उठाता है, बल्कि बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की उदासीनता को भी उजागर करता है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में एफआईआर दर्ज कर न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है या फिर यह मामला केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएगा।

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