कोरिया 7 मार्च। कोरिया वनमंडल के बैकुंठपुर परिक्षेत्र में कोयला माफियाओं की दबंगई सामने आने पर पुलिस में मामला दर्ज कर लिया है। मंगलवार को जंगल की गश्त के दौरान बीट फॉरेस्ट ऑफिसर और उनकी टीम पर अवैध कोयला तस्करों ने न केवल हमला किया, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी। इस मामले में वन अधिकारी राकेश कुमार पांडेय की शिकायत पर थाना पटना में FIR दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने आरोपियों की तलाश तेज कर दी है और छीने गए ट्रैक्टर की भी खोजबीन जारी है।
गश्त के दौरान मिली अवैध कोयले की खेप
4 मार्च 2025 की रात करीब 9:15 बजे बीट फॉरेस्ट ऑफिसर राकेश कुमार पांडेय अपनी टीम के साथ बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र के आरएफ 437, ग्राम पूटा नागडबरा के जंगल में गश्त पर थे। इस दौरान जंगल में टॉर्च की रोशनी दिखने पर जब टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की, तो एक आयशर ट्रैक्टर में सुतली बोरी में भरा हुआ अवैध कोयला बरामद हुआ। वाहन चालक और मजदूर अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से फरार हो गए।
दबंगई पर उतरे कोयला माफिया
वन विभाग की टीम जब इस ट्रैक्टर को लेकर छिंदडांड डिपो की ओर जा रही थी, तभी रात करीब 10:30 बजे तुम्मीबारी तिराहे के पास अवैध कोयला माफिया शक्ति पाल सिंह उर्फ सनी अपने 10 साथियों के साथ आ धमका। आरोपियों ने वन विभाग के कर्मचारियों को गाली-गलौज करते हुए ट्रैक्टर और कोयले को अपना बताया और जबरन कब्जा कर लिया। इतना ही नहीं, आरोपियों ने वनकर्मियों को जान से मारने की धमकी भी दी।
वन अधिकारी ने दर्ज कराई शिकायत
इस घटना के बाद बीट फॉरेस्ट ऑफिसर राकेश कुमार पांडेय ने थाना पटना में लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में गवाह के तौर पर वनकर्मी दुष्यंत सिंह, वाहन चालक रामेश्वर और स्थानीय निवासी चंद्रप्रकाश चक्रधारी का नाम भी शामिल है। पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर आरोपियों की तलाश तेज कर दी है।
DFO ने शुरू की अवैध कोयला कारोबार के खिलाफ मुहिम
वन विभाग के कर्मचारियों के साथ हुई इस घटना के बाद DFO प्रभाकर खलखो ने कोयला माफियाओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए अभियान शुरू कर दिया है। शुक्रवार को DFO ने सोनहत क्षेत्र में वनकर्मियों के साथ मिलकर कई अवैध कोयला खदानों को बंद करवाया और कोयला तस्करी के रास्तों को भी सील कर दिया।
वन विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से कोयला माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ है। वन विभाग ने साफ कर दिया है कि अवैध कोयला कारोबार के खिलाफ ये मुहिम अब तेज होगी, ताकि वन संपदा को नुकसान पहुंचाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा सके।