कोरिया: कोरोना काल में वित्तीय अनियमितता, जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, CMHO कार्यालय में भारी गड़बड़ी, जांच के बावजूद कार्रवाई नहीं

Chandrakant Pargir

 



कोरिया। कोरोना काल में जिले के स्वास्थ्य विभाग में हुई वित्तीय अनियमितताओं को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। तत्कालीन सरगुजा कमिश्नर डॉ. संजय अलंग को मिली शिकायत के बाद उन्होंने स्वयं CMHO कार्यालय का निरीक्षण किया और वर्ष 2019 से 2022 तक की वित्तीय जांच के निर्देश दिए। हालांकि, तत्कालीन कलेक्टर विनय लंगेह ने केवल 2019 से 2021 तक की जांच कराई, जिसमें नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) और रेगुलर बजट के लेखा विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आईं।

जांच रिपोर्ट में क्या निकला?

आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जांच प्रतिवेदन में CMHO कार्यालय के लेखा प्रभारी सचिन कुमार विश्वास की लापरवाही का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, तीन वित्तीय वर्षों (2019-20, 2020-21, 2021-22) में औषधियों, उपकरणों और अन्य सामग्रियों की खरीदी में नियमों का पालन नहीं किया गया।


गंभीर अनियमितताएं:

1. बिना अनुमति खरीदी:

आवश्यक क्रय आदेशों में CGMSC (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन) की NOC नहीं ली गई।

क्रय समिति के अनुमोदन से पहले ही सामग्रियों की खरीद कर ली गई।


2. रिकॉर्ड का अभाव:

भंडार क्रय नियम 2002 और संशोधित नियम 2022 का पालन नहीं किया गया।

खरीदी से पहले स्वास्थ्य संस्थानों से मांगपत्र (Indent) नहीं लिया गया।



3. लेखा संधारण में लापरवाही:

बिल ट्रांजिट रजिस्टर (BTR) और स्टॉक रजिस्टर में कई वस्तुओं की प्रविष्टियां गायब।

औषधियों और उपकरणों के वितरण का रिकॉर्ड नहीं मिला।

भुगतान हेतु आवश्यक बिल रजिस्टर और अन्य वित्तीय दस्तावेज अधूरे।


4. फर्जीवाड़े की आशंका:

कई सामग्रियों के लिए अलग-अलग बिल जारी किए गए, लेकिन स्टॉक रजिस्टर में एक साथ प्रविष्टि की गई।

बिना सत्यापन के ही कई बिलों का भुगतान कर दिया गया।


सरकार ने दिए थे कार्रवाई के आदेश, फिर भी फाइल दबाई

जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गई थी, जहां से कार्रवाई के निर्देश भी मिले। बावजूद इसके, तत्कालीन अधिकारियों ने रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

लेखा प्रभारी अब भी पदस्थ, कार्रवाई कब?

हैरानी की बात यह है कि इतनी गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के बावजूद प्रभारी लेखा अधिकारी सचिन कुमार विश्वास को अब तक पद से नहीं हटाया गया। प्रशासन की यह उदासीनता कई सवाल खड़े कर रही है।

अब देखना होगा कि नई सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और क्या दोषियों पर  कड़ी कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य फाइलों की तरह दबा दिया जाएगा?

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