एक्सपायरी दवा बनी गौर की मौत का कारण: वन विभाग की लापरवाही उजागर

Chandrakant Pargir

 


रायपुर। बार नवापारा अभयारण्य से कोरिया के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व तक 12 घंटे की लंबी ट्रक यात्रा के बाद दुर्लभ और संरक्षित भारतीय बाइसन (गौर) की मौत ने वन विभाग की बड़ी लापरवाही को उजागर कर दिया है। वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी द्वारा दी गई जानकारी और विभागीय दस्तावेजों के मुताबिक, मृत गौर को जो इंजेक्शन दिया गया था, वह एक्टिवान नामक दवा थी, जो 10 महीने पहले ही एक्सपायर हो चुकी थी। इसी वजह से दवा ने अपना असर नहीं दिखाया और गौर की जान चली गई।



वन विभाग के दस्तावेजों से पुष्टि हुई है कि ट्रांसपोर्टेशन के दौरान इस बाइसन को दी गई दवा कालातीत थी। एक्सपायर इंजेक्शन के चलते एनिमल सेडेटिंग और एक्टिवेशन की प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई, जिससे दुर्लभ प्रजाति के इस गौर ने दम तोड़ दिया। नितिन सिंघवी ने इस पूरे मामले की गंभीरता को सामने लाते हुए वन विभाग की लापरवाही को उजागर किया है। उन्होंने सबूत के तौर पर विभागीय दस्तावेज भी सार्वजनिक किए हैं, जो उनके बयान की पुष्टि करते हैं।


इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एक्सपायर दवाओं का उपयोग न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि यह दुर्लभ और संरक्षित प्रजातियों के जीवन के लिए सीधा खतरा भी है। इस घटना के बाद से वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों में गहरा आक्रोश है।


वन्यजीव प्रेमियों ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह है कि वन विभाग इस लापरवाही को किस तरह से संज्ञान में लेता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।


#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!