कोरिया 2 मार्च: कोरिया जिले के उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी को बंद हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन धान उठाव की प्रक्रिया में लगातार हो रही देरी ने समिति प्रभारियों की चिंता बढ़ा दी है। 31 जनवरी 2025 को धान खरीदी बंद हुई थी, लेकिन अब मार्च शुरू होने के बावजूद बड़ी मात्रा में धान उपार्जन केंद्रों में ही पड़ा हुआ है। तेज होती गर्मी के बीच धान के वजन में गिरावट का खतरा बढ़ता जा रहा है, जिससे समिति प्रभारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। आपको बता लगभग ढाई लाख बोरा धान समिति में सूख रहा है। वही जानकारों की माने तो इस लापरवाही से 10 हजार क्विंटल धान सूखकर कम हो सकता है।
केंद्रवार बची हुई धान की मात्रा:
गिरजापुर: 4716.00 क्विंटल
चिरमी : 8200 क्विंटल
बंजारी डाँड़: 3780.03 क्विंटल
छिंदडाँड़: 2111 क्विंटल
जिल्दा : 234.00 क्विंटल
जामपारा: 4998.40 क्विंटल
झरनापारा: 12414.12 क्विंटल
धौरा टिकुरा: 6870.00 क्विंटल
पटना: 9476.00 क्विंटल
बैमा: 5805.84 क्विंटल
रजौली: 455.60 क्विंटल
अकलासरई: 172.06 क्विंटल
सलबा: 8523.25 क्विंटल
सोनहत कटगोंडी: 9225.47 क्विंटल
सोनहत रामगढ़: 8391.70 क्विंटल
कुल बची हुई मात्रा: 104076.62 क्विंटल
डीओ कटने के बाद भी नहीं हो रहा उठाव
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश मिलर्स के डिलीवरी ऑर्डर (डीओ) कई हफ्ते पहले कट चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद धान उठाव की रफ्तार बेहद सुस्त बनी हुई है। कई मिलर्स का 12वें महीने में डीओ जारी हो चुका है, फिर भी धान को उठाने में उनकी रुचि नहीं दिख रही है। इस वजह से उपार्जन केंद्रों में धान का जमावड़ा लग गया है, जिससे न सिर्फ समिति प्रभारी परेशान हैं, बल्कि डीएमओ की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं।
तेज गर्मी में बढ़ रही वजन घटने की आशंका
मार्च महीने की शुरुआत के साथ ही तापमान में वृद्धि हो रही है, और ऐसे में खुले में पड़े धान के वजन में गिरावट आने की आशंका तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ही धान का उठाव नहीं किया गया, तो उसके वजन में 5-10% तक की कमी हो सकती है। इससे समिति प्रभारियों को बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा, क्योंकि भुगतान वजन के आधार पर किया जाता है।
समिति प्रभारियों ने जताई नाराज़गी
धान उठाव में देरी को लेकर उपार्जन केंद्रों के समिति प्रभारियों ने अपनी नाराज़गी जाहिर की है। उनका कहना है कि डीओ कटने के बावजूद मिलर्स धान लेने नहीं आ रहे, और डीएमओ इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा। कई समितियों में धान रखने की जगह भी अब कम पड़ने लगी है, जिससे व्यवस्था चरमराने लगी है।
समिति प्रभारियों की मांग
समिति प्रभारियों ने प्रशासन से मांग की है कि मिलर्स को जल्द से जल्द धान उठाने के निर्देश दिए जाएं और जो मिलर्स देरी कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। अगर धान का उठाव जल्द नहीं हुआ, तो हजारों क्विंटल धान के वजन में कमी आना तय है, जिससे जिले के उन्हें करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है। अब देखना यह है कि धान उठाव में कब तेजी आती है।