बैकुंठपुर। कोरिया जिले में दुर्लभ और गंभीर बीमारी गुइलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) के अब तक चार मामले सामने आ चुके हैं। सभी मरीज महिलाएं हैं, जिनका इलाज रायपुर के प्रतिष्ठित अस्पतालों में चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि यह एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद तंत्रिकाओं पर हमला करने लगती है। महंगे इलाज के कारण मरीजों के परिवारों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या है गुइलेन बैरी सिंड्रोम (GBS)?
जीबीएस एक दुर्लभ बीमारी है, जो शरीर के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। इसमें मरीज को पहले हाथ-पैरों में झुनझुनी महसूस होती है, फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर में कमजोरी आ जाती है। गंभीर मामलों में यह बीमारी लकवे (Paralysis) का कारण भी बन सकती है।
कैसे होता है जीबीएस?
यह आमतौर पर किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद विकसित हो सकता है।
फ्लू, डेंगू, या अन्य संक्रमणों के कारण शरीर की इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी होने से यह बीमारी हो सकती है।
यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन वृद्धों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में अधिक देखा जाता है।
इलाज में आ रही आर्थिक दिक्कतें
डॉक्टरों के अनुसार, जीबीएस का इलाज इम्यूनोथेरेपी (IVIG) और प्लाज्मा एक्सचेंज के माध्यम से किया जाता है, जिसकी लागत लाखों रुपये तक हो सकती है। कई मरीजों को लंबी अवधि तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है, जिससे उनका खर्च बढ़ जाता है। कोरिया जिले के पीड़ित मरीजों के परिवारों ने इलाज के लिए आर्थिक सहायता की मांग की है।
बचाव और सावधानियां
किसी भी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद सतर्क रहना जरूरी है।
यदि हाथ-पैरों में झुनझुनी, कमजोरी या संतुलन बिगड़ने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाए रखने के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करें।
बीमारी के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर जल्द से जल्द इलाज शुरू कराना जरूरी है।
सरकार से आर्थिक सहायता की अपील
मरीजों के परिवारों ने सरकार और जिला प्रशासन से आर्थिक मदद की अपील की है, ताकि वे महंगे इलाज का खर्च उठा सकें। वहीं, स्वास्थ्य विभाग से भी इन मामलों पर विशेष ध्यान देने की मांग की जा रही है।