22 बेडेड आईसीयू बना स्टोर, बड़ी लापरवाही, मरीज बेहाल

Chandrakant Pargir

 


कोरिया। जिले में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को आईसीयू की सख्त जरूरत है, लेकिन जिला अस्पताल में पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें रायपुर के निजी अस्पतालों में महंगे इलाज के लिए जाना पड़ रहा है। इन दिनों जिले में गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) से ग्रसित चार मरीज गंभीर स्थिति में हैं, जिन्हें आईसीयू के अभाव में रायपुर रेफर किया गया। निजी अस्पतालों में महंगे इलाज के चलते मरीजों के परिजनों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। यदि जिला अस्पताल में 22 बेडेड आईसीयू को शुरू कर दिया जाता, तो ऐसे मरीजों को बड़ी राहत मिल सकती थी।


सिर्फ 3 बेड का संकरा आईसीयू, मरीजों को भारी दिक्कतें


कोरिया जिले के सबसे बड़े अस्पताल में फिलहाल केवल तीन बेड का आईसीयू संचालित है, जो अत्यधिक संकरी जगह पर बना हुआ है। यहाँ मरीजों और उनके परिजनों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सीमित संसाधनों और जगह की कमी के चलते गंभीर मरीजों को मजबूरी में बाहर रेफर किया जा रहा है, जिससे गरीब मरीजों के लिए इलाज कराना और भी कठिन हो रहा है।


22 बेडेड आईसीयू में इलाज नहीं, बना स्टोर रूम


मरीजों की सुविधा के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 22 बेडेड आईसीयू का निर्माण कराया था, जिसमें ऑटोमेटिक बेड, वेंटिलेटर, सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम सहित कई महंगे उपकरण सीजीएमएससी के माध्यम से खरीदे गए थे। लेकिन यह आईसीयू शुरू होने के बजाय अब स्टोर रूम में तब्दील हो चुका है। अस्पताल प्रबंधन ने इसमें दवाइयों और अन्य सामानों को रखकर इसे एक गोदाम में बदल दिया है, जबकि गंभीर मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ने को मजबूर हैं।


8 महीने से अटका स्टोर का कार्य, अधर में लटका आईसीयू


अगस्त 2024 में जब प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया गया था, तो अस्पताल प्रबंधन ने कहा था कि नए स्टोर का निर्माण कार्य पूरा होते ही स्टोर को वहाँ शिफ्ट कर दिया जाएगा और आईसीयू को शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन 8 महीने बीतने के बाद भी स्टोर का काम अधूरा पड़ा है, जिससे 22 बेडेड आईसीयू शुरू नहीं हो सका। इस बीच मरीज आज भी आईसीयू की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।


क्या शुरू होगा नया आईसीयू?


जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण आम जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सवाल यह उठता है आखिर कब इस आईसीयू को मरीजों के इलाज के लिए शुरू किया जाएगा या यह यूँ ही गोदाम बना रहेगा?

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