इनसाइड स्टोरी की खबर का बड़ा असर: कलेक्टर के सख्त रुख के बाद 70 हजार क्विंटल धान का उठाव तेज

Chandrakant Pargir

 


कोरिया 10 मार्च। इनसाइड स्टोरी की 2 मार्च की विशेष रिपोर्ट के बाद कोरिया जिला प्रशासन हरकत में आ गया है। जिले में 1 लाख क्विंटल धान के उपार्जन केंद्रों में पड़े रहने और तेज धूप में खराब होने के खतरे को लेकर इनसाइड स्टोरी ने डीएमओ (जिला विपणन अधिकारी) की उदासीनता को उजागर किया था। खबर के असर के बाद कलेक्टर कोरिया ने तुरंत संज्ञान लिया और धान के जल्द से जल्द उठाव के सख्त निर्देश जारी किए।


70 हजार क्विंटल धान का उठाव:


कलेक्टर के निर्देश के बाद प्रशासन ने तेजी से कार्रवाई शुरू करते हुए 70 हजार क्विंटल धान का उठाव पूरा किया। कोरिया जिले के विभिन्न उपार्जन केंद्रों में पड़े इस धान को लेकर समिति प्रभारियों में भारी चिंता थी। मौसम में बदलाव और तेज धूप के कारण धान के वजन में कमी आने का खतरा था, जिससे समिति प्रभारियों पर आर्थिक भार पड़ने की आशंका थी।


समिति प्रभारियों को राहत:


प्रशासन की इस त्वरित कार्रवाई से समिति प्रभारियों ने राहत की सांस ली है। धान खरीदी खत्म होने के बाद से उपार्जन केंद्रों में पड़े इस धान के उठाव में हो रही देरी से वजन में गिरावट और गुणवत्ता खराब होने की समस्या सामने आ रही थी। इनसाइड स्टोरी की खबर के बाद प्रशासन ने इस गंभीर मसले पर तत्काल कार्रवाई की और 70 हजार क्विंटल धान का सफलतापूर्वक उठाव सुनिश्चित किया।


कलेक्टर ने दिखाया सख्त रुख:


सूत्रों के मुताबिक, कलेक्टर कोरिया ने डीएमओ को फटकार लगाई और धान उठाव में देरी के लिए स्पष्टीकरण मांगा। कलेक्टर ने बचा हुआ धान भी जल्द से जल्द उठाने के कड़े निर्देश दिए ताकि समिति प्रभारियों और किसानों को किसी भी तरह का नुकसान न उठाना पड़े।


धान उठाव की मौजूदा स्थिति:


कोरिया जिले में कुल 1284751.20 क्विंटल धान में से 1252648.11 क्विंटल का उठाव हो चुका है। अब भी 32103.09 क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में पड़ा है, जिसे लेकर प्रशासन ने जल्द से जल्द उठाव प्रक्रिया पूरी करने की योजना बनाई है।


प्रशासन की तत्परता से उम्मीदें बढ़ीं:


इस तेजी से उठाव के बाद  समिति प्रभारियों को राहत मिली है। प्रशासन की इस पहल से आशा है कि शेष बचा हुआ धान भी जल्द से जल्द उपार्जन केंद्रों से उठा लिया जाएगा, जिससे धान की गुणवत्ता बनी रहे और वजन में किसी भी तरह की गिरावट न आए।




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