रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) का पद सवा दो साल से खाली है, जिसके लिए अब तक कुल 58 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इन आवेदनों में कई पूर्व आईएएस, आईपीएस, रिटायर्ड अफसर और पत्रकार शामिल हैं। इस पद के सबसे प्रबल दावेदार छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन माने जा रहे हैं, लेकिन उन्हें नियुक्ति से पहले वीआरएस लेना होगा।
आईएएस-आईपीएस की दौड़ में पत्रकार भी शामिल
मुख्य सूचना आयुक्त बनने की दौड़ में सबसे आगे वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा, पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी, रिटायर्ड कमिश्नर संजय अलंग सहित अन्य नौकरशाह शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश सरकार और संगठन के नेता विभिन्न आवेदनों की समीक्षा कर रहे हैं।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में दो सूचना आयुक्त – एन. के. शुक्ला और आलोक चंद्रवंशी कार्यरत हैं। इनकी नियुक्ति मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार में हुई थी, लेकिन मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति अब तक लंबित है।
भाजपा संगठन भी दिखा रहा रुचि
सूत्रों के अनुसार, भाजपा प्रदेश संगठन भी इस नियुक्ति में रुचि ले रहा है। पार्टी के सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ से कई दावेदार सक्रिय हैं। चूंकि नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और एक मंत्री की तीन सदस्यीय समिति निर्णय लेगी, इसलिए यह प्रक्रिया जटिल होती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के लिए दिया दो माह का समय
मुख्य सूचना आयुक्त पद की नियुक्ति में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी को सख्त रुख अपनाया और राज्य सरकारों को दो माह के भीतर नियुक्ति करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि:
आवेदकों की सूची एक हफ्ते में जारी की जाए।
खोज समिति की संरचना और शॉर्टलिस्टिंग के मानदंड सार्वजनिक किए जाएं।
साक्षात्कार छह हफ्तों के भीतर पूरे किए जाएं।
सिफारिशें मिलने के दो हफ्तों के भीतर नियुक्ति पूरी की जाए।
इसके अलावा, कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल करने और आयोगों में रिक्त पदों व लंबित मामलों की जानकारी देने के निर्देश भी दिए हैं।
PSC अध्यक्ष पद भी खाली, नामों पर मंथन जारी
मुख्य सूचना आयुक्त के साथ-साथ छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) के अध्यक्ष पद को लेकर भी सरकार नामों की तलाश में जुटी हुई है। वर्तमान में सेवानिवृत्त आईएएस रीता शांडिल्य कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए कौन चुना जाता है, क्योंकि भाजपा संगठन, प्रशासनिक लॉबी और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के चलते यह मुद्दा अब सुर्खियों में आ गया है।