मनेन्द्रगढ़। मनेन्द्रगढ़ वन मंडल में सी एंड एल (C & L) योजना के तहत कार्यों को ठेकेदार के माध्यम से करवाया जा रहा है, जबकि नियमों के अनुसार यह कार्य वन विभाग द्वारा मजदूरों के माध्यम से किया जाना चाहिए। वन मंडल के विभिन्न परिक्षेत्रों में अलग-अलग कक्ष क्रमांक के आधार पर कंटूर ट्रेंच (CPT) खुदाई का कार्य किया जा रहा है, साथ ही नए मुनारों का निर्माण भी जारी है। बताया जा रहा है कि यह पूरा काम सोनहत के एक प्रभावशाली कांग्रेसी ठेकेदार को सौंपा गया है।
जंगल से निकाले जा रहे बोल्डर और गिट्टी
मुनारे के निर्माण के लिए आवश्यक बोल्डर और गिट्टी जंगल से ही निकाले जा रहे हैं, जिससे वन संपदा को नुकसान पहुंचने की आशंका है। इस कार्य में डीएफओ कार्यालय के एक कर्मचारी के साथ कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं, जो काम को सुचारू रूप से चलाने में ठेकेदार की मदद कर रहे हैं।
बिना टेंडर जारी हो रहा काम
सूत्रों के अनुसार, वन विभाग के नियमों को दरकिनार कर ठेकेदार को बिना टेंडर ही पूरा प्रोजेक्ट सौंप दिया गया है। मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के लगभग 40 स्थानों पर नए मुनारे बनाए जा रहे हैं, जबकि विभिन्न स्थानों पर सीपीटी का निर्माण भी जारी है। इस कार्य में जेसीबी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जबकि वन विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसे श्रमिकों के माध्यम से किया जाना चाहिए था।
क्या है सी एंड एल योजना?
सी एंड एल (C & L) योजना का पूरा नाम कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट एंड लैंडस्केपिंग (Catchment Area Treatment & Landscaping) होता है। इस योजना के तहत वन क्षेत्र में भूमि के कटाव को रोकने, जल संरक्षण करने और हरित क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष प्रकार की खुदाई और संरचनाएं बनाई जाती हैं।
सीपीटी (Contour Trench) क्या है?
सीपीटी यानी कंटूर ट्रेंच (Contour Trench) भूमि संरक्षण की एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जिसके तहत ढलानों पर समोच्च रेखाओं के अनुरूप खाइयां (ट्रेंच) बनाई जाती हैं। इन खाइयों का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल को रोकना, जल संरक्षण बढ़ाना और भूमि कटाव को नियंत्रित करना होता है।
वन विभाग की अनदेखी, पर्यावरण को खतरा
सी एंड एल योजना के तहत मनेन्द्रगढ़ वन मंडल में जो कार्य हो रहे हैं, उनमें वन नियमों की अनदेखी की जा रही है। बिना उचित प्रक्रियाओं का पालन किए ठेकेदार को सीधे काम सौंप देना गंभीर अनियमितता को दर्शाता है। जंगल से अवैध रूप से बोल्डर और गिट्टी निकालने से पर्यावरणीय क्षति भी हो रही है। वन विभाग के आला अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता है ताकि वन संपदा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।