कोरिया। गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व में ट्रांसलोकेशन के बाद बायसन की मौत ने वन्यजीव संरक्षण में हो रही लापरवाहियों को उजागर कर दिया है। 25 जनवरी को बारनवापारा से ट्रांसलोकेट कर कोरिया लाए गए बायसन की 26 जनवरी को मौत हो गई। घटना के बाद वन विभाग के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और पशु विभाग की दो सदस्यीय टीम ने मृत बायसन का पोस्टमार्टम किया।
प्रोटोकॉल पर सवाल
मृत बायसन को टाइगर रिज़र्व के सोनहत रेंज के चंदहा क्षेत्र में बनाए गए गौर बाड़ा में रखा गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रांसलोकेशन प्रक्रिया में सावधानी और वैज्ञानिक प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य है। बायसन की मौत ने इस प्रक्रिया की गुणवत्ता और वन विभाग की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पहले भी हुई हैं वन्यजीवों की मौत
पिछले एक वर्ष में टाइगर रिज़र्व में वन्यजीवों की मौत के कई मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में एक बाघ, तेंदुआ और भालुओं की मौत की घटनाएं हुई थीं। इन मौतों ने वन विभाग की कार्यप्रणाली और वन्यजीव संरक्षण में लापरवाही को उजागर किया है। टाइगर रिज़र्व घोषित हो गया है परंतु यहां वन्य जीव संरक्षण से लगाव रखने वाले एक भी अधिकारी नज़र नही आते है, सिर्फ घनघोर जंगल के विकास कार्यो पर बारीकी से ध्यान देने वाले अधिकारियों पर वन्य जीवों की सुरक्षा का जिम्मा है यही कारण है कि वन्य जीवों की लगातार मौत के मामले सामने आ रहे है।
20 से अधिक बायसन का ट्रांसलोकेशन बाकी
वन विभाग की योजना के तहत अभी 20 से अधिक बायसन का ट्रांसलोकेशन किया जाना है। लेकिन इस घटना ने भविष्य में होने वाले ट्रांसलोकेशन की प्रक्रिया पर चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सख्त प्रोटोकॉल और निगरानी की आवश्यकता है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
मृत बायसन की मौत के कारणों का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगा। फिलहाल, टाइगर रिज़र्व के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
वन्यजीव संरक्षण पर लापरवाही चिंताजनक
वन्यजीव संरक्षण और ट्रांसलोकेशन जैसे प्रयासों में इस तरह की घटनाएं न केवल वन विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि यह वन्यजीवों के अस्तित्व के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती हैं। यह जरूरी है कि विभाग अपनी प्रक्रियाओं में सुधार लाए और वन्यजीवों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों में लापरवाही की ये घटनाएं चिंता का विषय हैं। अब देखना होगा कि वन विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है।