बैकुंठपुर, 10 जनवरी। कोरिया जिले के झुमका बोट क्लब में पर्यटन को विकसित करने के लिए अब तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। डीएमएफ (जिला खनिज न्यास निधि) के तहत बड़े पैमाने पर कंक्रीट के ढांचे तैयार किए गए, लेकिन उनके रखरखाव पर ध्यान न देने के कारण ये संरचनाएं जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच रही हैं।
कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी का कहना है कि झुमका बोट क्लब में एक्वेरियम और अन्य संरचनाओं के दीर्घकालिक रखरखाव के लिए रणनीति बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि झुमका को पर्यटन की दृष्टि से और विकसित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि आने वाले पर्यटकों को इसका लाभ मिल सके।
भारी खर्च, लेकिन रखरखाव नदारद
झुमका बोट क्लब की स्थापना वर्ष 2011-12 में एसईसीएल द्वारा की गई थी। इसके तहत बगीचा और झूले लगाए गए। 2016 में डीएमएफ के तहत 35 लाख रुपए की लागत से बड़ी मछलीनुमा एक्वेरियम का निर्माण किया गया। लेकिन इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके बाद कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी डीएमएफ के तहत बड़ी राशि खर्च की गई।
वर्ष 2022 से 2024 के बीच झुमका बोट क्लब में बेहिसाब खर्च हुआ, लेकिन इन पैसों का उपयोग कितनी प्रभावी तरीके से हुआ, यह जांच का विषय है।
शोपीस बनी शिकारा बोट
भाजपा सरकार के दौरान झुमका महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री ने महोत्सव का शुभारंभ किया। इस दौरान बाहर से 5 शिकारा बोट खरीदी गईं और मुख्यमंत्री ने इनका उद्घाटन किया। लेकिन महोत्सव के बाद से ये शिकारा बोट शोपीस बनकर रह गई हैं। इनका उपयोग आज तक नहीं हो सका है।
स्थायी समाधान की जरूरत
मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान क्लब में चमक-दमक पर ध्यान दिया जाता है, लेकिन बाद में कोई देखरेख नहीं होती। प्रशासन ने अब झुमका बोट क्लब को दीर्घकालिक दृष्टि से विकसित करने का आश्वासन दिया है। कलेक्टर का कहना है कि भविष्य में झुमका को पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा।
आवश्यकता पारदर्शिता और सतत देखरेख की
विशेषज्ञों का मानना है कि झुमका बोट क्लब जैसी परियोजनाओं में पारदर्शिता और दीर्घकालिक रखरखाव पर जोर दिया जाना चाहिए। केवल संरचनाएं खड़ी करने से पर्यटन को बढ़ावा नहीं मिलेगा, बल्कि उनकी नियमित देखभाल और पर्यटकों के लिए सुविधाओं का संचालन सुनिश्चित करना होगा।