जांच प्रक्रिया में महिला कर्मचारियों के साथ हो रहा भेदभाव: पीड़िता ने लगाए गंभीर आरोप, एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के चरचा आरओ का मामला

Chandrakant Pargir



 बैकुंठपुर (कोरिया) 3 दिसंबर। चरचा माइन (आर.ओ.) की महिला सेल की जांच प्रक्रिया पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। एक महिला कर्मचारी ने महिला सेल की अध्यक्ष के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जांच प्रक्रिया में महिला कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।


पीड़िता का कहना है कि उसे बार-बार जांच के लिए बुलाकर मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है। महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया कि जांच में अनावश्यक और अपमानजनक सवाल पूछे जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य उसकी विश्वसनीयता को कमजोर करना है। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके पक्ष में गवाही देने वाले व्यक्तियों को प्रताड़ित किया जा रहा है, जबकि दबाव में दिए गए बयानों को तरजीह दी जा रही है।


पुराने मामलों का हवाला


पीड़िता ने इससे पहले महिला सेल की जांच के तहत हुए दो मामलों का उल्लेख किया।


1. कटकोना के एक मामले में एक महिला कर्मचारी ने लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज की थी। लेकिन प्रबंधन ने आरोपी अधिकारी को बचाते हुए मामले को दबा दिया।


2. इसी तरह, चरचा माइन के एक अन्य मामले में एक महिला कर्मचारी ने अपने साथ हुए लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत की थी। इस मामले में भी छोटे पद पर कार्यरत महिला को न्याय नहीं मिला, और आरोपी अधिकारी को क्लीन चिट दे दी गई।


दोनों मामलों में महिला सेल की अध्यक्ष के रूप में डॉ. मिंज की भूमिका पर सवाल उठे थे।


न्यायालय में लंबित मामला


पीड़िता ने यह भी बताया कि वर्तमान प्रकरण न्यायालय में लंबित है, लेकिन इसके बावजूद जांच प्रक्रिया केवल एक अधिकारी को क्लीन चिट देने के उद्देश्य से की जा रही है। उसने इसे गैरकानूनी और पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया।


पीड़िता की अपील


पीड़िता ने अपनी लज्जा और सम्मान की रक्षा के लिए न्याय की गुहार लगाई है। उसने कहा कि यदि महिला कर्मचारियों को इस तरह मानसिक प्रताड़ना दी जाती रही, तो उनके पास अपने जीवन को समाप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। महिला कर्मचारी ने प्रबंधन से निष्पक्षता और पारदर्शिता की मांग करते हुए जांच प्रक्रिया को तुरंत समाप्त करने की अपील की है।


समाज में गूंजता सवाल


यह मामला एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि क्या कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों को न्याय और सम्मान से जीने का अधिकार मिल पाएगा? महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बनी समितियां क्या वास्तव में अपना दायित्व निभा रही हैं, या फिर वे भी व्यवस्था का हिस्सा बनकर महिलाओं के साथ अन्याय कर रही हैं? दूसरी ओर ऐसा प्रतीत होता है कि महिला जांच अधिकारी भी संभवत उच्च अधिकारियों के दबाव में कार्य कर रही हैं, महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार की जानकारी के बावजूद क्या जांच अधिकारी महिला के संवेदना पीड़ित महिला कर्मचारी के प्रति तनिक भी नजर नहीं आती?  क्या महिलाओं के साथ हो रहा है अत्याचार के प्रति महिलाओं को आंखें बंद कर लेना चाहिए?


7 साल में भी जांच नही हुई पूरी

मामला 2017 का है तब से आज वर्ष 2024 बीतने को है SECL प्रबंधन आज 7 साल होने को है परंतु बेस मामले की आज तक जांच पूरी नही करा पाया है। महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न संबंधी गंभीर अत्यंत गंभीर मामले में 7 साल की लंबी अवधि तक जांच न करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है यह जांच का विषय है कि 7 सालों में निष्पक्ष जांच क्यों नहीं की गई।



 

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