आश्रम और छात्रावासों पर जिला प्रशासन की विशेष नज़र, सुस्त अधिकारियों पर कसावट का डोज, शिकायत पर त्वरित एक्शन

Chandrakant Pargir

 



बैकुण्ठपुर। कोरिया जिले में कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी की पदस्थापना को तीन माह होने को है, बीते तीन माह में प्रशासनिक  कसावट के मद्देनजर अधिकारियों कर्मचारियों में सक्रियता देखी जा रही है, जिन अधिकारियों की अब तक सुस्ती का नशा नही उतरा है उन्हें हटा कर डिप्टी कलेक्टरों को प्रभार देकर काम को गतिशीलता दी गई है।


कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी जिले में कुपोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील दिख रही है, आते ही  नियम विरुद्ध काम करने पर लगातार कार्यवाही देखी जा रही है, स्कूलों का निरीक्षण के साथ स्वास्थ्य के साथ शासन की योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे इस पर उनका पूरा जोर देखा जा रहा है।कलेक्टर की पदस्थापना के 10 दिन बाद सबसे पहला विकेट तत्कालीन सीएमएचओ का गिरा, उंसके बाद महिला बाल विकास अधिकारी और आगे और भी कई अधिकारी ऐसे है जिनको शासन की योजनाओं तक की जानकारी का पता नही है। 


छात्र छात्राओं की चिंता


कलेक्टर श्रीमती त्रिपाठी जिले भर के छात्रावासों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को लेकर खास रणनीति बना कर काम कर रही है, उन्होंने सभी आश्रम छात्रावासों के औचक निरीक्षण के लिए सभी अधिकारियों को जिम्मा सौंपा है, बालिका छात्रावास में महिला अधिकारी तो बालक छात्रावास में पुरूष अधिकारियों को समय समय पर अचानक निरीक्षण कर उन्हें जानकारी देने के निर्देश दिए है, जिस पर एक्शन शुरू भी हो गया है। अब जिला प्रशासन को इस बात की जानकारी आसानी से मिल रही है किस आश्रम छात्रावास का अधीक्षक कितने समय तक वहां रहता है या किस तरह का भोजन बच्चो को दिया जा रहा है। वही इस विभाग के अधिकारी मौका मिलते ही मुख्यालय छोड़ दिया करते थे पर अब रात 8 बजे तक कार्यालय में देखे जा रहे है। पता नही कब कलेक्टर का बुलावा आ जाए।


शिकायत मिलते ही त्वरित एक्शन


अब ऐसा हो रहा है कि यदि कोई मामले की जानकारी व्हाट्सएप पर भी आ रही है तो उस पर जिला प्रशासन त्वरित कार्यवाही कर रहा है, सोशल मीडिया पर विशेष नज़र जिला प्रशासन बनाए हुए। अब तक बोला जाता कि कोई सुनने वाला नही है, पर अब एक्शन दिख रहा है, हाल में नगर निवेश कार्यालय को लेकर कलेक्टर से शिकायत हुई कि कई दिन से फ़ाइल को दबा के घुमाया जा रहा है, कलेक्टर ने तत्काल अधिकारी को निर्देश दिए काम तत्काल हो गया, पर ऐसी कितनी फ़ाइल दबा के रखी है जिसके कारण लोग परेशान हो रहे हैं उंसके हिसाब का जिम्मा एक डिप्टी कलेक्टर को सौंप दिया। नगर निवेश कार्यालय के अधिकारी बाबू अब सकते में है।


नसिंग होम एक्ट के तहत जांच


कलेक्टर श्रीमति त्रिपाठी ने जिले भर में संचालित लैब, क्लीनिक, नसिंग होम की रैंडम जांच के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है, जिसमे अधिकारियों को    ऐसे संस्थानों की नसिंग होम एक्ट के तहत जांच कर एक फॉर्म भरकर लाना होगा, इस जांच से निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी चिकित्सक भी घबराए हुए है। परंतु अभी भी कई क्लीनिक ऐसे संचालित है जिसमे अपनी सास को संचालक बना दिया है चोरी छुपे सरकारी सर्विस वाले दामाद डॉक्टर है, दर्जनों ऑपरेशन कर रहे है पर हिसाब किसी को नही दे रहे, अपने किसी संबंधी के नाम से लाइसेंस पर ब्रेक लगाने की जरूरत है और जारी किए गए लाइसेंस की नए सिरे से समीक्षा की जरूरत है।

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