बंद राइस मिल प्रकरण- राइस मिल से हुए थे दो - दो अनुबंध, सहकारी संस्थाएं के अधिकारी, जिला प्रशासन को दे रहे कार्यवाही की चुनौति, लोग हैरान, आखिर कैसे बन जाते है कर्मचारी करोड़पति

Chandrakant Pargir



बैकुंठपुर (कोरिया) 9 सितंबर। कोरिया जिले की एक राइस मिल के बंद होते हुए अलग अलग समितियों से धान पहुंचनें और बंद राइस मिल से चावल नागरिक आपूर्ति निगम तक पहुंचने के इस खेल को लेकर आमजन हैरान है। वहीं खाद्य विभाग की सरकारी बेवसाईट पर नजर डाले तो इस राइस मिल का दो दो बार अनुबंध किया गया था, ऐसा तब जबकि अनुबंध के मुताबिक चावल नहीं जमा किया गया, आखिर इतनी बड़ी गलती के बाद भी अधिकारियों ने अपनी आंखें किसके कहने पर बंद रखी थी, ये बड़ा सवाल है जो लोगों को परेषान किए हुए है। आमजन सवाल पूछ रहे है कोई कार्यवाही होगी भी, या नहीं ?




जानकारी के अनुसार खाद्य विभाग की सरकारी बेवसाईट पर जब हमने बंद राइस मिल को लेकर जानकारी जुटाना शुरू किया तो वर्ष 2023-24 में में मंगल राइस मिल का दो बार अनुबंध करना बेवसाईट पर सामने आया। खाद्य, नगारिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के दोनों अनुबंध में की वैधता 11 जून 2024 को खत्म बताई जा रही है, उक्त अनुबंध में 48000 क्विंटल धान का उठाव करना बताया गया है , कुल 131 डीओ में 35600 क्विंटल धान उठाव मिल द्वारा किया गया। सीएमआर जमा करने की शेष मात्रा में 24090.52 क्विंटल बता रहा हैं, वहीं दूसरे अनुबंध में 96000 क्विंटल धान का उठाव करने का अनुबंध बताया जा रहा है, इसमें 14 डिओ के तहत 3350 क्विंटल धान का उठाव किया गया है, इसमें 289.8 क्विंटल चावल जमा किया गया, सीएमआर जमा करने की शेष मात्रा में 1977.15 क्विंटल बताया जा रहा हैं।



3 महिने गुजर गए

बंद राइस मिल के दो अनुबंध की वैधता 11 जून 2024 तक ही थी, ऐसे में डिओ के विरूद्ध पूरा चावल जमा नहीं हुआ, ऐसे में बिना चावल जमा किए दूसरा अनुबंध कैसे हो गया। यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। 11 जून से 11 सिंतबर 2024 होने को है, 3 महिने पूर्ण होने को है, अब तक अनुबंध के मुताबिक चावल कैसे जमा नहीं हो पाया। इसकी भी जांच बेहद जरूरी है। वैधता खत्म होने के बीते तीन महिने से अधिकारियों ने मामले को स्वयं संज्ञान क्यों नहीं किया, यह समझ से परे है।


जिस ट्रक से गया उसकी जांच क्यों नहीं

बंद राइस मिल में एक अनुबंध के अनुसार 131 डिओ और दूसरे अनुबंध के अनुसार 14 डिओ कुल 145 डिओ के जरीए 38950 क्विंटल धान पहुंचा है। जिस ट्रक से धान जाना बताया गया है उसे लेकर जनचर्चा है कि ट्रक बिगड़ा हुआ था, उसका उपयोग कागज में किया गया है, कागज में धान जाना दिखाया गया है। अब यह जांच का विषय है कि इतनी बड़ी मात्रा में धान बंद राइस मिल कैसे पहुंचता है, बिना बिजली खर्च के धान कूटा भी गया और चावल नागरिक आपूर्ति निगम भी पहुंच गया।  

धान खरीदी में बड़ा खेला हुआ, हर कही हल्ला

धान खरीदी एक ऐसा सिस्टम है जिसमें कोई कुछ गलत ना कर सके, इसके लिए सरकार ने कई चेक पाइंट बना रखे है, बावजूद इसके धान खरीदी में करोड़ों के भ्रष्टाचार की बातें आए दिन सामने आती रहती है। कोरिया जिले की जिन समितियों से बंद राइस मिल तक धान का उठाव किया वो कटघरे में है, बीते तीन वर्षो से सहकारी संस्थाएं के अधिकारियों को ऐसे लोगों पर विषेष कृपा बरस रही है, जो इस तरह से समितियों में अनियमितताएं बरत रहे है। इनसाइड स्टोरी ने बताया था कि अधिकारी ने अपने ही एक मातहत कर्मचारी को पटना धान समिति का अध्यक्ष बनाया था, खबर के बाद अब उन्हें हटा दिया गया है और बैंक के नोडल अधिकारी को पटना धान समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है। धान समितियों के द्वारा धान के उठाव को लेकर हर कोई सवाल पूछ रहा है। लोग जानना चाह रहे है कि आखिर बंद मिल में धान कैसे पहुंचा, धान खरीदी समिति पर लोग सवाल खड़े कर रहे है, कि इतनी बड़ी मात्रा मे धान बंद राइस मिल पहुंच रहा था क्या इसकी जानकारी समिति को नहीं थी। यदि थी तो वो इस खेल में आंखे बंद करके क्यों बैठे रहे? समिति के कर्मचारियों को बचाने के लिए सहकारी संस्थाओं के अधिकारियों ने एड़ीचोटी लगा रही है वो जिला प्रशासन को चुनौति दे रहे है कि हमारे कर्मचारियों पर कार्यवाही करके बताओं तो जाने, अब देखना है जिला प्रशासन किस तरह उनकी चुनौति स्वीकार करता है।






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