एमसीबी। जिले के कोटाडोल स्थित आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक को तमाम अनियमितताओं की जांच के बाद वहीं हटा दिया था, जिस पर अब उन्हें कोर्ट का स्टे मिल गया है, वहीं आदिम जाति सेवा सहकारी समिति कोटाडोल द्वारा संचालित एलपीजी गैस एजेन्सी द्वारा कनेक्शन वितरण में बड़ी अनियमितताएं सामने आई है, परन्तु एमसीबी प्रषासन अब तक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं करा सका है, जबकि आवष्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 के तहत प्रषासन को तत्काल एफआईआर दर्ज कराया जाना है, आपको बता दे मामले में विधायक रेणुका सिंह ने कलेक्टर को जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए थे। इधर, प्रबंधक ने कोर्ट जाकर स्टे ले लिया है, अब देखना प्रशासन मामले में क्या कार्यवाही करता है।
मामले में सामाजिक कार्यकर्ता व भाजपा नेता राकेश बर्मन ने क्षेत्रीय विधायक रेणुका सिंह और कलेक्टर एमसीबी का आभार जताया है, उन्होंने कहा है कि एमसीबी प्रशासन ने हमारी विधायक के निर्देश पर जांच टीम बनाकर वित्तीय अनियमितता करने वालो की पोल खोल दी है, मुझे उम्मीद है किसानों के साथ धोखा करने वाले के खिलाफ आज नही तो कल मामले में जिला प्रशासन कड़ी कार्यवाही करेगा।
जांच प्रतिवेदन क्या कहता है -
विधायक रेणुका सिंह सहित कई ग्रामीणों की शिकायत पर कलेक्टर एमसीबी ने जांच दल का गठन किया और जांच दल ने जांच शुरू की, सूत्रों की माने तो जांच प्रतिवेदन में बताया गया है कि कोटाडोल में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति कोटाडोल (लैम्प्स) द्वारा एल.पी.जी. गैस एजेंसी इंडेन ग्रामीण वितरक का संचालन किया जा रहा है। उक्त ग्रामीण वितरक इंडेन गैस एजेंसी का उपक्रम है। उक्त लैम्प्स के प्रबंधक एवं गैस एजेंसी के प्रबंधक के द्वारा संयुक्त रूप से गैस एजेंसी का संचालन करते है। जांच के दौरान दोनों का बयान लिया गया एवं मौके का पंचनामा बनाया गया। गैस गोदाम के उपलब्ध स्टॉक का भौतिक सत्यापन किया गया। जांच में गैस एजेंसी में प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना संबंधित दस्तावेज व्यवस्थित नहीं रखे मिलें। इसे व्यवस्थित कर दो दिवस के भीतर उपलब्ध कराने के लिए प्रबंधक लैम्प्स एवं ऑपरेटर सह प्रबंधक गैस एजेंसी को निर्देश दिया गया था परंतु आज दिनांक तक इसके संबंध में लैम्प्स कोटाडोल के कर्मचारियों द्वारा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवायी गई है। गैस एजेंसी में कितने हितग्राही हैं इसकी सूची भी जांच के दौरान एवं अतिरिक्त समय दिये जाने के बावजूद भी जांच समिति के समक्ष उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना के हितग्राहियों को गैस चूल्हा रेगुलेटर, गैस पाईप, भरा हुआ सिलेण्डर उपलब्ध कराने के कोई स्पष्ट प्रमाण कोटाडोल समिति के कर्मचारियों के पास उपलब्ध नहीं है। एजेन्सी के सह प्रबंधक और ऑपरेटर दोनेां के बयान अलग अलग पाए गए। गोदाम में उपलब्ध स्टॉक की कमी के संबंध में गोदाम के ऑपरेटर सह प्रबंधक ने कुछ भी कहने से इंकार किया। इस प्रकार इस जांच से यह पता चलता है कि लैम्प्स कोटाडोल द्वारा संचालित इंडेन ग्रामीण वितरक के मुख्य संचालक एवं लैम्प्स प्रबंधकएवं गैस गोदाम के ऑपरेटर सह प्रबंधक द्वारा दस्तावेजों का संधारण सुव्यवस्थित नहीं है जिससे बाद में दस्तावेजों में हेरफेर किया जाना संभव है। साथ ही साथ गैस सिलेण्डर के भौतिक स्टॉक में भी गड़बड़ी की गई है। लैम्प्स के उक्त कर्मचारियों का यह कृत्य स्वीकृत पेट्रोलियम गैस (प्रदाय और वितरण विनियमन) आदेश, 2000 की कंण्डिका 8 एवं 10 का उल्लंघन किया है। जो कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3ध्7 के अनुसार दण्डनीय अपराध है।
कलेक्टर ने दो टूक कार्यवाही के दिए निर्देश
कलेक्टर एमसीबी द्वारा सहकारी संस्थाएं के नोडल अधिकारी को पत्र लिखकर कार्य्रवाही के निर्देश दिए थे। सूत्रों की माने तो कलेक्टर एमसीबी ने 9 जुलाई 2024 को आदेश दिया परन्तु आज दिनाँक तक कार्यवाही नहीं हो पाई है। इण्डेन ग्रामीण वितरक लैम्प्स कोटाडोल में गैस वितरण के संबंध में अनियमितता की शिकायत प्राप्त हुयी थी। जिसकी जांच के लिए तहसीलदार कोटाडोल एवं सहायक खाद्य अधिकारी जिला एम०सी०बी० के संयुक्त जांच दल का गठन किया गया था। संयुक्त जांच दल द्वारा जांच रिपोर्ट दी गयी। जांच रिपोर्ट अनुसार उक्त गैस एजेंसी के ऑपरेटर सह प्रबंधक एवं लैम्प्स कोटाडोल के तत्कालीन प्रबंधक द्वारा दस्तावेजों का संधारण सुव्यवस्थित नहीं पाया गया एवं गैस सिलेण्डर के स्टॉक में भी कमी पायी गई। लैम्प्स के उक्त कर्मचारियों का यह कृत्य स्वीकृत पेट्रोलियम गैस (प्रदाय और वितरण, विनियमन) आदेश 2000 की कण्डिका 8 एवं 10 का उल्लंघन है जो कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा, 3/7 के अनुसार दण्डनीय अपराध है। कलेक्टर ने दोनो कर्मचारियों के विरूद्ध नियमानुसार वसूली एवं बर्खास्तगी की कार्यवाही कर उनके कार्यालय को अवगत कराने को कहा है।