बैकुंठपुर (कोरिया) 16 अगस्त। कांग्रेस की सरकार में सीएमएचओ पद मिला, जैसे ही सरकार बदली और भाजपा की सरकार आई तो कहते देखे सुने गए कि मै आरएसएस से जुडा हुआ हूं, आखिर मेरी कुर्सी कैसे जाएगी, 8 महिने इसी भ्रम में उनकी कुर्सी बची भी रही, तत्कालिन कलेक्टर विनय कुमार लंगेह की कृपा बनी रही उनके जाते ही उनका आत्मविश्वास और कुर्सी ठगमगाने लगी थी। श्री लंगेह के बेहद करीबी इस अधिकारी को जिले की तेजतर्रार कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने एक मिनट में पहचान लिया, तब से इन्हें भगवान याद आने लगे थे, उन्हे एहसास था कि उनकी कुर्सी जाने वाली है। हम बात कर रहे है कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल करने वाले प्रभारी सीएसएचओ डॉ आरएस सेेंगर की। जिन्हें आज स्वास्थ्य मंत्री ने सीएमएचओ के पद से हटाकर सीएस के अंडर में रख उन्हें उनकी सही जगह पहुंचा दिया।
जानकारी के अनुसार सीएमएचओ को लेकर आज आई 34 अधिकारी की स्थानांतरण सूची में डॉ आरएस सेंगर का स्थान 33वें नंबर पर है, उन्हें वापस नेत्र विशेषज्ञ के पद पर पहुंचा दिया गया है, बात इनके कार्यकाल की करें तों कोरिया जिले के इतिहास में पहले सीएमएचओ थे जिनके खिलाफ जिला अस्पताल बैकुंठपुर के 26 के 26 चिकित्सकों ने मुख्यमत्री व स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी, यही कारण था कि जिला अस्पताल के चिकित्सकों को लेकर ऐसा माहौल बनाया गया कि यहां कोई काम नहीं करता है, जबकि हाल ही में नव पदस्थ कलेक्टर श्रीमति त्रिपाठी ने औचक निरीक्षण किया तो उन्होनें मरीजों से पूछा कि डॉक्टर ने उन्हें देखा कि नहीं, एक भी मरीज ने यह नही कहा कि डाक्टर ने उन्हें नहीं देखा है, जिला अस्पताल में चिकित्सकों के खिलाफ अविश्वास का माहौल बनाया गया, जबकि कोरिया के इस अस्पताल में अविभाजित कोरिया के साथ सुरजपुर जिले के सैकड़ों मरीज इलाज करवाने पहुंचतें है। तत्कालिन कलेक्टर को सिर्फ चिकित्सकों के आने जाने की सूचना देना इनका मुख्य काम था, तत्कालिन कलेक्टर ने इनके कार्यकाल मेें रहते जिला अस्पताल के जीवनदीप के खाते को सीज कर डाला, इन्होने सीज खाते से राशि निकालने में बड़ी भागीदारी निभाई। सीज खाते में से निकाली गई राशि की जांच बेहद जरूरी है। एक महिने के लिए अतिरिक्त प्रभार पर ये जिला अस्पताल के सीएस रहे तो नियमों को दरकिनार कर जीवनदीप समिति में कई नियुक्यिां कर डाली, जिसकी शिकायत भी हुई है। वहीं जिला अस्पताल में जीवनदीप समिति और अन्य मद में नियमविरूद्ध कराए जा रहे कार्यो को लेकर इनकी मौन स्वीकृति थी। इनका विकेट गिरने के बाद अब देखना है जिला अस्पताल के आरएमओ को लेकर जिला प्रशासन क्या रूख अपनाता है।
जमकर हुई खरीदी, पर नहीं हुई जांच
डॉ आरएस सेंगर के कार्यकाल की बात करें तो विभाग के रेगूलर और एनएचएम मद में जमकर दवाओ, उपकरण, फर्नीचर की खूब खरीदी हुई, परन्तु कई षिकायत के बाद तत्कालिन कलेक्टर विनय कुमार लंगेह भ्रष्टाचारियों को बचाने मे लगे रहे। डीएमएफ के तहत सिर्फ स्वास्थ्य विभाग को 2022-23 में 2 करोड़ 11 लाख रुपए से ज्यादा की राशि दी गई, जिसमे हुई तमाम खरीदी को लेकर कई सवाल खडे हो रहे है। कोटेशन के तहत हुई खरीदी गई दवाओं को लेकर काफी भ्रष्टाचार हुआ है, मामले में एनएचएम से एक भी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत नहीं दी जा रही है, एनएचएम मद के तहत हुई तमाम क्रय की जांच बेहद जरूरी है। आपके बता दे तत्कालिन कमिश्नर संजय अलंग जब जांच करने स्वास्थ्य विभाग पहुंचें तो उन्हें 2020-21 से लेकर 2022-23 तक की जांच के आदेश दिए थे, परन्तु खुद के कार्यकाल की जांच न हो उन्होंने तत्कालिन कलेक्टर से वर्ष 2022-23 की जांच रूकवा दी थी, जांच के बाद सिर्फ सीएमएचओ कार्यालय के 9 बाबूओं पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए है। परंतु कार्यवाही की फ़ाइल सब तक दबी हुई है, वर्ष 2022-23 और 2023-24 की रेगूलर और एनएचएम में सभी तरह की खरीदी, किराए के वाहनों के भुगतान की जांच बेहद जरूरी है। रेगूलर मद से कोटेशन से जो खरीदी की जानकारी मिली है, उसमें हुए घोटाले का खुलासा अगले अंक में आपके पढ़ने को मिलेगा।
सीटी स्कैन मशीन खरीदी की जांच जरूरी
कांग्रेस के समय सीएसआर मद से सीटी स्कैन मशीन की खरीदी की गई, जिसमें पारदर्षिता नहीं बरती गई, आज तक विभाग सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नहीं दे पा रहा है, एसईसीएल ने सीटी स्कैन खरीदी के लिए राशि जारी की, परन्तु सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने में वो भी आनाकानी कर रहा है। सीटी स्कैन मशीन की खरीदी की जांच बेहद जरूरी है, ताकि खरीदी को लेकर आमजन को पता चले कि उनके लिए मिली सीएसआर की राशि का उपयोग सही किया गया है।
जिला अंधत्व निवारण समिति से हटाए जाने की मांग
बीते एक दशक से डॉ आरएस सें्रगर जिला अंधत्व निवारण समिति के नोडल अधिकारी के पद पर विराजमान है, नोडल अधिकारी रहते चश्मो और दवाओं की खरीदी में कोई देखने वाला नही रहा है, सूचना के अधिकार के तहत जिला अंधत्व निवारण समिति के खर्च का हिसाब किताब के साथ जिला अस्पताल में नेत्र विभाग की जानकारी नहीं दी जा रही है। अब यह मांग उठने लगी है कि डॉ आरएस सेंगर को जिला अंधत्व निवारण समिति के नोडल अधिकारी के पद से हटाकर उनके पूरे कार्यकाल की जांच की जाए। जिस तरह से उनका कार्यकाल देखा गया है तय है कि यदि जांच हुई तो कई खुलासे होेगें। एक निजी क्लिनिक में हुए आंखों के ऑपरेशन और अब उनके नए घर में हो रहे ऑपरेशन को लेकर नया खुलासा आपको अगले अंक में पढ़ने को मिलेगा, कैसे सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन न करके निजी क्लिनिक में मोतिया बिंद के ऑपरेशन किए जा रहे है?