कलेक्टर चंदन त्रिपाठी की सक्रियता से जिले में आई प्रशासनिक कसावट, बीते दो वर्ष में हुई अनियमितताओ पर रखना होगा नज़र।

Chandrakant Pargir




कोरिया। जिले की चौथी महिला कलेक्टर चंदन त्रिपाठी ने आते प्रशासनिक कसावट शुरू कर दी है, इसका असर साफ देखा जा रहा है, बीते दो वर्ष से कोरिया जिले का हाल बेहाल था, नवपदस्थ कलेक्टर ने आते ही पूरे जिले ल सघन दौरा किया, अधिकारियों को जांचा परखा और अब वो काम के जुट गई है, स्वास्थ्य विभाग पर उनकी पैनी नज़र बनी हुई है। दूसरी ओर कांग्रेस सरकार में पदस्थ अधिकारियों की मनमानी से हर कोई परेशान था लोगो ने कांग्रेस सरकार बदल ली पर कोरिया जिले में कांग्रेस के समय से पदस्थ अधिकारियों पर किसी ने नकेल कसने की जहमत नही उठाई, वही नवपदस्थ कलेक्टर चंदन त्रिपाठी के आने से लोगो मे बीते वर्ष हुए भ्रष्टाचार पर नकेल कसने की उम्मीद जगी है।


जानकारी के अनुसार नवपदस्थ कलेक्टर चंदन त्रिपाठी की सक्रियता से अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है, जो पहले आराम से काम कर रहे थे अब वो हर काम मे तत्परता दिखा रहे है, दरअसल, बीते दो वर्ष में अधिकारियों का मनमानी राज था, राजस्व विभाग हो या स्वास्थ्य  विभाग, पीएचई हो या लोक निर्माण विभाग हर विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगे हुए थे, जिले के तत्कालीन मुखिया विनय कुमार लंगेह के राज में कोई कुछ बोलने वाला नही था, अधिकारियों कोभ्रष्टाचार करने की खुली छूट मिली हुई थी, यही कारण है कि लोग उनके ट्रांसफर को लेकर सरकार बदलने के बाद से ही चर्चा करते आ रहे थे, परंतु नई सरकार में 8 महीने के बाद उनका ट्रांसफर हो पाया।


स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटाले की जांच


तत्कालीन कलेक्टर कुलदीप शर्मा के ट्रांसफर के बाद आए कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग में जमकर भ्रष्टाचार हुआ, तत्कालीन कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग के हुए घोटाले के जांच के आदेश दिए थे मामले में एक लिपिक निलंबित भी हुआ था, उनके जाने के बाद दर्जनों शिकायत होने पर जिला प्रशासन ने किसी भी तरह की जांच नही करवाई, सरकार बदली तब वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जांच के निर्देश दिये, मामले में मनमर्जी जांच समिति बनाई गई, जिसमे किसी भी ड्रग इंस्पेक्टर को जांच समिति में रखे बगैर जांच को प्रभावित किया गया, वही जिले के अधिकारी कभी कभार ही दौरे पर निकलते, सिर्फ ऑफिस से घर और कलेक्टर कार्यालय में अधिकारी डटे रहा करते, इस दौरान एनएचएम में जमकर वित्तीय अनियमितता की गई, आज तक एनएचएम की किसी भी तरह की जानकारी आरटीआई के तहत प्रदान नही की जा रही है। मामले में बीते दो वर्ष की जांच की जानी चाहिए।



जिला अस्पताल में जमकर हुई वित्तीय अनियमितता


स्वास्थ्य विभाग में वित्तीय अनियमितता जारी थी दूसरी ओर जिला अस्पताल में जीवनदीप समिति में मनमाने ढंग से कार्य करा कर राशि का आहरण किया जाने लगा, एक चिकित्सक तो ठेकेदार ही बन गया, जिस पर स्वास्थ्य विभाग के मुखिया से लेकर जिला प्रशासन का पूरा आशीर्वाद रहा, जीवनदीप समिति के बैन खाते से राशि निकाल कर नियमो को दरकिनार किया गया, बीते 8 महीने में जीवनदीप समिति के अनाप शनाप खर्च की नए सिरे से जांच बहुत जरूरी है। 


डीएमएफ के तहत हुई खरीदी की जांच


बीते दो वर्ष में डीएमएफ के तहत हुई खरीदी में वित्तीय नियमो का ध्यान नही रखा गया, स्वास्थ्य विभाग के उपकरण खरीदी की जांच बहुत जरूरी है, इसी तरह सिर्फ डीएमएफ के मुख्य खाते का ऑडिट किया गया है, 2 से 3 करोड़ लेने वाले विभागों ने अब तक ऑडिट नही कराया है, बिलासपुर के जिस सीए से ऑडिट कराया गया वो जांच के घेरे में है।


डीएमएफ के हुए घोटाले की जांच


डीएमएफ जब से शुरू हुआ तब कोरिया जिला अविभाजित था तब इस जिले में अमृत धारा जलप्रपात हुआ करता था पर्यटन के नाम पर करोड़ों रुपए बर्बाद हुए, वैसे ही जिला अलग हुआ तो जिला प्रशासन ने पर्यटन के नाम पर झुमका को खोज निकाला और यहां डीएमएफ की राशि जमकर उड़ाई गई, झुमका कम पड़ गया तो एक नया डेम खोज लिया गया, इसके लिए सोनहत का घुनघुट्टा डेम को चुना गया, यहां भी डीएमएफ की राशि का जमकर दोहन जारी है। जिस पर वर्तमान कलेक्टर को नज़र बनाए रखना होगा कैसे एक ग्राम पंचायत को करोड़ों खर्च करने के  लिए एजेंसी बना दिया गया। 


विभागों में आई चुस्ती 


बीते 2 वर्ष में अधिकारी दौरे में कभी कभार ही देखे गए, जिले के कप्तान बदलते ही अब अधिकारी फुर्ती के नज़र आ रहे है, जिले की तेजतर्रार कलेक्टर चंदन त्रिपाठी ने सभी अधिकारियों को नसीहत दे दी है कि शासन का काम ईमानदारी से करना होगा, और वो भी समय सीमा में, इसका असर भी अब नज़र आ रहा है।


क्रमशः

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