श्रीनगर। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा चिनार पुस्तक महोत्सव के अंतर्गत श्रीनगर में एक विशेष साहित्यिक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य किशोर पाठकों के लिए ऐतिहासिक उपन्यासों की श्रृंखला तैयार करना था। ये उपन्यास ‘कल्हण’ रचित ऐतिहासिक ग्रंथ राजतरंगिणी के पात्रों पर आधारित होंगे।
कार्यशाला में देशभर से चयनित ख्यातिलब्ध साहित्यकारों ने सहभागिता की, जिनमें छत्तीसगढ़ से डॉ. संजय अलंग, हिमाचल प्रदेश से डॉ. गंगाराम राजी, उत्तर प्रदेश से चंद्रकांता एवं सुभाष चंदर, दिल्ली से डॉ. सुनीता एवं डॉ. मलिक राजकुमार, राजस्थान से डॉ. राजेश कुमार व्यास एवं प्रो. रूपा सिंह प्रमुख रूप से शामिल हुए। सभी साहित्यकारों ने अपने-अपने ऐतिहासिक पात्रों पर आधारित प्रारंभिक अंशों का पाठ किया एवं उस पर आपसी विचार-विमर्श भी हुआ।
इस कार्यशाला का उद्घाटन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष प्रो. मिलिंद सुधाकर मराठे ने किया। अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को स्मरण करते हुए राजतरंगिणी पर आधारित रचनाओं के लिए रचनाकारों को उपयोगी सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि यह कार्य भारत की सांस्कृतिक विरासत को सहज व आकर्षक ढंग से भावी पीढ़ी तक पहुँचाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
न्यास के मुख्य संपादक एवं संयुक्त निदेशक श्री कुमार विक्रम ने लेखकों को रचना प्रक्रिया में भाषा, शिल्प और शैली पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी ताकि पात्र सीधे पाठकों से जुड़ सकें। उन्होंने यह भी बताया कि सभी तैयार पांडुलिपियाँ प्रकाशन से पूर्व विषय विशेषज्ञों के समक्ष समीक्षा हेतु प्रस्तुत की जाएँगी।
कार्यशाला के प्रारंभ में न्यास संपादक डॉ. ललित किशोर मंडोरा ने सभी रचनाकारों का परिचय प्रस्तुत किया और उनके साहित्यिक योगदान की संक्षिप्त जानकारी दी।
कार्यशाला के दौरान सभी रचनाकारों ने ड्राफ्ट संबंधी अंश साझा कर परस्पर संवाद और सुझावों के माध्यम से रचनाओं का परिष्कार किया। यह अभिनव प्रयास आने वाली पीढ़ियों को भारत के गौरवशाली इतिहास से जोड़ने में एक सशक्त माध्यम सिद्ध होगा।